वाराणसी, 12 जनवरी 2025, रविवार। स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर बीएचयू विश्वनाथ मंदिर में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद द्वारा आयोजित एक भव्य शोभायात्रा ने शहर की सड़कों पर रंग और उत्साह का संचार किया। इस शोभायात्रा में हजारों की संख्या में छात्र-छात्राएं भगवा झंडे लेकर “नंद के आनंद की जय विवेकानंद” का जयघोष करते हुए चल रहे थे।
इस अवसर पर पुनीत मिश्रा ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी के विचारों को पढ़ने और उनसे प्रेरित होकर राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए युवाओं को प्रेरित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वामी जी का कहना था कि सफलता प्राप्त करने तक प्रयास करते रहना चाहिए।
अभय प्रताप सिंह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी की जयंती को युवा दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य युवाओं को उनके विचारों से प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने अपनी आध्यात्मिक ज्ञान से देश के युवाओं को संदेश दिया कि भारत की संस्कृति के संवर्धन से ही भारत का पुनर्निर्माण होगा।
स्वामी विवेकानंद: एक महान आध्यात्मिक नेता की जीवन यात्रा
स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। उनके बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था। उनके पिता विश्वनाथ दत्त एक प्रसिद्ध वकील थे, जबकि उनकी माता भुवनेश्वरी देवी एक धार्मिक महिला थीं। नरेंद्रनाथ बचपन से ही प्रतिभाशाली थे और उन्हें मां सरस्वती की कृपा प्राप्त थी। उनकी शिक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय में हुई, जहां उन्होंने 16 वर्ष की आयु में प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की और बाद में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। इस दौरान उनकी मुलाकात परमहंस महाराज जी से हुई, जिनके प्रभाव में उन्होंने ब्रह्म समाज में शामिल हुए।
स्वामी विवेकानंद जी का जीवन उनके गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस को समर्पित था। उन्होंने अपने जीवन का अधिकांश भाग उनकी सेवा में बिताया और उनके उपदेशों को पूरे विश्व में फैलाने का काम किया। उनकी सबसे प्रसिद्ध गतिविधि 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में भाग लेना था, जहां उन्होंने अपने प्रसिद्ध भाषण में हिंदू धर्म की शिक्षाओं को पूरे विश्व के सामने प्रस्तुत किया। इस भाषण ने उन्हें पूरे विश्व में प्रसिद्ध बना दिया और उन्हें एक महान आध्यात्मिक नेता के रूप में स्थापित किया।
स्वामी विवेकानंद जी का जीवन और उपदेश आज भी पूरे विश्व में प्रासंगिक हैं और उन्हें एक महान आध्यात्मिक नेता और समाजसुधारक के रूप में याद किया जाता है। उनका जन्मदिवस भारत में राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है।