नई दिल्ली, 23 अप्रैल 2025, बुधवार। दिल्ली की धरती पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने एक नया इतिहास रचा। ‘यशवंत’ नामक केंद्रीय कार्यालय का उद्घाटन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के परम पूजनीय सरसंघचालक डॉ. मोहनराव भागवत के कर कमलों से हुआ। यह कार्यालय केवल एक भवन नहीं, बल्कि ‘ज्ञान, शील और एकता’ की भावना से संचालित अभाविप के प्रकल्प SEIL (Students’ Experience in Interstate Living) का प्रेरणा केंद्र है। यह आयोजन न केवल संगठन की मजबूती का प्रतीक है, बल्कि भारत के युवाओं में राष्ट्रीय समरसता और एकता के संदेश को और सशक्त करने का संकल्प भी है।
‘यशवंत’: एक प्रेरणा, एक संकल्प
‘यशवंत’ कार्यालय का नाम प्रख्यात शिक्षाविद् और संगठक प्राध्यापक यशवंतराव केलकर की स्मृति में रखा गया, जिन्होंने विद्यार्थी जीवन में राष्ट्रभक्ति और सेवा भावना के बीज बोए। उनके जन्म शताब्दी वर्ष में स्थापित यह कार्यालय SEIL प्रकल्प को नई ऊर्जा प्रदान करेगा, जो 1966 से पूर्वोत्तर भारत और शेष भारत के बीच सांस्कृतिक एकता और आपसी संवाद को बढ़ावा देता आ रहा है। डॉ. भागवत ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा, “कार्यालय केवल भवन नहीं, कार्य का आलय होना चाहिए। यहाँ से निकलने वाला कार्य ‘ज्ञान, शील और एकता’ के मूल भाव को साकार करेगा।” उन्होंने जोर दिया कि विविधता का सम्मान करते हुए ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना को अपनाना आज की आवश्यकता है।
राष्ट्रीय नेतृत्व की उपस्थिति
इस ऐतिहासिक अवसर पर भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. मुरली मनोहर जोशी, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, जगत प्रकाश नड्डा, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल, मनसुख मांडवीया और दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे। अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राजशरण शाही, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी, राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान और अन्य प्रमुख कार्यकर्ताओं ने इस आयोजन को गौरवमयी बनाया।
युवाओं के लिए एक आधुनिक केंद्र
‘यशवंत’ कार्यालय अपनी आधुनिक संरचना और सुविधाओं के साथ युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। नौ मंजिला इस इमारत में 150 से अधिक लोगों की क्षमता वाला अत्याधुनिक सभागार, शोधार्थियों के लिए पुस्तकालय, पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों के लिए डोरमेट्री, और एक खुला थिएटर शामिल है। स्वामी विवेकानंद की 12 फीट ऊंची अष्टधातु प्रतिमा और सरस्वती माता की संगमरमर की मूर्ति परिसर को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक वैभव प्रदान करती हैं। ऊर्जा संरक्षण को ध्यान में रखकर बनाया गया यह भवन प्राकृतिक प्रकाश और हरियाली से सुसज्जित है, जिसमें एक टेरेस गार्डन भी शामिल है।
अभाविप का गौरवमयी सफर
प्रो. राजशरण शाही ने कहा, “यह कार्यालय सैकड़ों कार्यकर्ताओं की तपस्या और समर्पण का प्रतीक है। यह राष्ट्र निर्माण में विद्यार्थियों की भूमिका को नई दिशा देगा।” वहीं, डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी ने संगठन के संघर्ष और उपलब्धियों को रेखांकित करते हुए बताया कि पूर्वोत्तर भारत में 2 लाख से अधिक सदस्यों और 200 से अधिक स्थानों पर सक्रियता के साथ अभाविप देश भर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की दिशा में कदम
‘यशवंत’ कार्यालय SEIL प्रकल्प के माध्यम से युवाओं को देश की विविधता को समझने और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के संकल्प को साकार करने के लिए प्रेरित करेगा। यहाँ से संचालित गतिविधियाँ न केवल संगठन को नई गति देंगी, बल्कि राष्ट्रीय एकता और समरसता के लिए युवा शक्ति को दिशा प्रदान करेंगी। जैसा कि डॉ. भागवत ने कहा, “भारत की ओर विश्व आशा से देख रहा है। हमारे तरुणों में वह सामर्थ्य है, जो सच्ची स्वतंत्रता को साकार कर सकता है।”
‘यशवंत’ कार्यालय अभाविप के इस संकल्प का प्रतीक है कि वह न केवल एक संगठन है, बल्कि एक ऐसी शक्ति है, जो युवाओं के माध्यम से भारत को विश्व गुरु के स्थान पर पुनः स्थापित करने के लिए कटिबद्ध है।