आगरा, 10 जुलाई 2025: रावतपाड़ा स्थित प्राचीन बाबा श्री मनःकामेश्वर नाथ महादेव मंदिर में गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर एक ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बना, जब 100 किलोग्राम चाँदी से निर्मित भव्य रजत द्वार का विधिवत पूजन और लोकार्पण हुआ। यह द्वार न केवल स्थापत्य कला का अनुपम उदाहरण है, बल्कि भक्तों की अटूट श्रद्धा और सामूहिक संकल्प का प्रतीक भी है। प्रदेश में पहली बार किसी मंदिर में चाँदी की कीलों से सुसज्जित रजत द्वार स्थापित किया गया है, जो आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से एक मील का पत्थर है।
लोकार्पण समारोह में गणपति पूजन, स्वास्तिक पूजन, सिंह पूजन और गुरु गादी पूजन के साथ भव्य आरती संपन्न हुई। इस अवसर पर बाबा श्री मनःकामेश्वर नाथ के फूल बंगले और छप्पन भोग दर्शन का आयोजन भी किया गया, जिसमें सैकड़ों भक्तों ने हिस्सा लिया। प्रसादी वितरण के साथ समारोह का समापन हुआ।
मठ प्रशासक हरिहर पुरी ने बताया कि 17 जून 2025 को शुरू हुआ यह निर्माण कार्य 20 दिनों की अथक मेहनत के बाद आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा (10 जुलाई 2025, संवत 2082) को पूर्ण हुआ। लगभग 13 फीट लंबा और 12 फीट चौड़ा यह द्वार कारीगरों की बारीक कला और भक्तों की भक्ति का संगम है।
श्रीमहंत योगेश पुरी ने कहा, “यह रजत द्वार बाबा की कृपा और भक्तों की निष्ठा का जीवंत प्रतीक है। प्रत्येक चाँदी का टुकड़ा श्रद्धा की भावना को समेटे हुए है। हमारा उद्देश्य है कि बाबा के दरबार में आने वाला हर भक्त दिव्यता और आध्यात्मिक शक्ति का अनुभव करे।”
द्वार के दोनों पल्लों पर शिव के पंच चिन्ह—ओम, दो सर्प, सिंह मुख, त्रिशूल और डमरू—के साथ फूल-पत्तियों की बारीक नक्काशी की गई है। चाँदी की कीलों से अलंकृत यह द्वार श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक अनुभूति का नया केंद्र बन गया है।
यह रजत द्वार न केवल मंदिर की गरिमा को बढ़ाता है, बल्कि आगरा के धार्मिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ता है। भक्तों का मानना है कि यह द्वार उनकी आस्था को और सुदृढ़ करेगा।