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Friday, January 10, 2025

महाकुम्भ में शंकराचार्यों का भव्य प्रवेश!

प्रयागराज, 10 जनवरी 2025, शुक्रवार। महाकुम्भ नगर में सनातन धर्म की सभी धाराओं और सम्प्रदाय का संगम हो रहा है। सनातन के ध्वज वाहक अखाड़ों के बाद अब शंकराचार्यों का प्रवेश भी महाकुम्भ नगर में हो गया है। ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी की प्रवेश यात्रा निकाली गई, जिसमें हजारों संतों ने हिस्सा लिया।
इस प्रवेश यात्रा में शंकराचार्य की धर्म पताका और आदि शंकराचार्य की सवारी चल रही थी। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का भव्य रथ चल रहा था, जिसमें सभी दिशाओं से आए मठों के महंत और संत मौजूद रहे।
इस प्रवेश यात्रा में संपूर्ण भारत की संस्कृति जीवंत हो गई। उत्तर, दक्षिण और पूरब पश्चिम सभी दिशाओं की लोक संस्कृति और लोक संगीत की झलक भी देखने को मिली। उत्तराखंड, सिक्किम, राजस्थान, महाराष्ट्र और कर्नाटक से आए कलाकारों ने अपनी स्थानीय नृत्य कला और संगीत की प्रस्तुति दी।
महाराष्ट्र का शिवा ढोल बैंड में एक साथ कई दर्जन ढोल की थाप से आसपास का इलाका गूंज उठा। यात्रा में डमरू नृत्य में भी शिव भक्त जमकर झूमे नाचे। शंकराचार्य की प्रवेश मंगलम यात्रा का शहर के 108 स्थानों पर स्थानीय नागरिकों ने फूलों से स्वागत किया।
प्रवेश यात्रा पत्थरचट्टी से मलाका, सब्जी मंडी, मोती महल चौराहा, चमेलीबाई धर्मशाला, जानसेनगंज, चौक घंटाघर, बहादुर गंज, कीटगंज होते हुए बांध के रास्ते कुम्भ मेला में प्रवेश करते हुए शंकराचार्य शिविर में पहुंची।
यात्रा में शामिल बोध गया मठ के स्वामी सत्यानंद गिरी का कहना है कि सभी संतों के बीच इस प्रवेश यात्रा के माध्यम से यह संदेश दिया जा रहा है कि गौ माता को राष्ट्र माता घोषित करने के लिए सभी लोग आएं। प्रवेश मंगलम यात्रा में कई रथों में भी इस संकल्प को व्यक्त करने वाले पोस्टर लगाए गए थे।

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