अगले साल सितंबर से ग्रेटर नोएडा की बिजली आपूर्ति पश्चिमांचल विद्युत वितरण को सौंपी जा सकती है। मौजूदा समय में ग्रेटर नोएडा में निजी क्षेत्र की नोएडा पावर कंपनी लि. (एनपीसीएल) बिजली आपूर्ति कर रही है। एनपीसीएल को 30 वर्ष के लिए जारी लाइसेंस की मियाद 30 अगस्त 2023 को समाप्त हो रही है। ऊर्जा विभाग ने एनपीसीएल को नोटिस भेजकर साफ कर दिया है कि लाइसेंस की अवधि बढ़ाई नहीं जाएगी। सरकार इसे अपने हाथ में ले सकती है।
अपर मुख्य सचिव ऊर्जा अवनीश कुमार अवस्थी ने एनपीसीएल को भारतीय विद्युत अधिनियम 1910 की धारा 6.1 के तहत नोटिस भेजकर तीन महीने के भीतर अपना पक्ष रखने को कहा है। नोटिस में साफ कहा गया है कि अगर कंपनी निर्धारित समय में अपना पक्ष रखने में नाकाम रहती है तो सरकार लाइसेंस रद्द करने के संबंध में आगे की कार्यवाही शुरू कर देगी। गौरतलब है कि राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद एनपीसीएल को जारी लाइसेंस की शर्तों का हवाला देते हुए 30 अगस्त से पहले नोटिस जारी करने की मांग कर रहा था।
दरअसल, प्रदेश में ऊर्जा क्षेत्र की पहली निजी कंपनी एनपीसीएल को ग्रेटर नोएडा में आपूर्ति का लाइसेंस विद्युत अधिनियम 1910 की धारा 6 और 7 के तहत 30 अगस्त 1993 को 30 वर्ष के लिए दिया गया था। इसकी मियाद 30 अगस्त 2023 को समाप्त हो रही है। लाइसेंस की शर्र्तों में यह प्रावधान था कि एनपीसीएल का लाइसेंस 30 वर्ष के लिए होगा। अगर पूर्ववर्ती राज्य विद्युत परिषद जो अब पांच बिजली वितरण कंपनियों में बंटा है चाहे तो विद्युत अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार 30 वर्ष पूरा होने के एक वर्ष से पहले एनपीसीएल को नोटिस देकर टेकओवर कर सकता है। अन्यथा दूसरी बार 20 वर्ष के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण किया जा सकता है।
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने सरकार से मांग की थी कि चूंकि अब विद्युत अधिनियम 2003 लागू हो चुका है और विद्युत अधिनियम 1910 समाप्त हो चुका है, ऐसे में राज्य सरकार व पावर कार्पोरेशन को एनपीसीएल को 30 अगस्त 2022 से पहले नोटिस देकर टेकओवर की कार्यवाही शुरू करनी चाहिए अन्यथा पूरा मामला कानूनी अड़चनों में फंस जाएगा। दूसरी तरफ विद्युत नियामक आयोग ने जब इस प्रक्रिया पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा के तहत कार्यवाही शुरू की और कंसल्टेंट नियुक्त किया तो एनपीसीएल ने अपीलेट ट्रिब्यूनल फार इलेक्ट्रिसिटी में वाद दाखिल कर दिया। अब ऊर्जा विभाग की ओर से नोटिस जारी होने से एनपीसीएल पर दबाव बढ़ गया है।
वर्मा ने कहा कि पहले भी उपभोक्ता परिषद की शिकायत पर ऊर्जा मंत्री ने एनपीसीएल की जांच के आदेश दिए थे। इस पर पावर कार्पोरेशन की तीन सदस्यीय कमेटी ने राज्य सरकार से जांच कराने की संस्तुति की थी लेकिन मामले को दबा दिया गया। चूंकि अब एनपीसीएल का लाइसेंस समाप्त होने जा रहा है इसलिए वह लॉबिंग में जुटी है। एनपीसीएल पर ग्रेटर नोएडा के उपभोक्ताओं का 579 करोड़ निकल रहा है। ऐसे में अगले 3 वर्षों वहां की बिजली दरों में हर साल 10 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए।