दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने विदेशी और प्रदेश से बाहर के विद्यार्थियों को दाखिले में विशेष सहूलियत देने की योजना बनाई है। ऐसे में विद्यार्थियों के दाखिले के लिए दो फीसदी सीट को अधिसंख्य कोटा के रूप में अलग से निर्धारित कर दिया गया है। यह सीटें प्रवेश की निर्धारित सीटों में शामिल नहीं हैं। इसलिए कोटे का असर प्रदेश के विद्यार्थियों पर नहीं पड़ेगा। विश्वविद्यालय ने विदेशी अभ्यर्थियों को प्रवेश परीक्षा से मुक्त रखने का निर्णय लिया है।
दूसरे राज्यों के अभ्यर्थियों को प्रवेश परीक्षा में सफल न होने के बावजूद प्रवेश देने का फैसला लिया गया है। यह नियम स्नातक और परास्नातक प्रवेश परीक्षा दोनों पर लागू होगा। देश-विदेश के अभ्यर्थियों को प्रवेश में सहूलियत देने की विश्वविद्यालय की इस योजना से नैक व एआईआरएफ में बेहतर रैकिंग मिलेगी। विवि प्रशासन का कहना है कि जब परिसर में दुनिया भर के विद्यार्थी पढ़ेंगे तो इसका स्तर अंतरराष्ट्रीय हो जाएगा।
50 अभ्यर्थियों को मिलेगा प्रवेश
इस कोटे में 50 अभ्यर्थियों को प्रवेश दिया जाएगा। इसके लिए अबतक विदेश से 68 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं जबकि अन्य राज्यों से 3000 से अधिक आवेदन आए हैं।
नेपाल, भूटान, थाईलैंड, वेस्टइंडीज से भी आवेदन
विदेशी आवेदनकर्ताओं में नेपाल, भूटान, थाईलैंड, वेस्टइंडीज, त्रिनिदाद एंड टोबैगो देशों के अभ्यर्थी शामिल हैं। अन्य राज्यों में सर्वाधिक आवेदन पड़ोसी राज्य बिहार से आए हैं। दिल्ली, राजस्थान, पश्चिमी बंगाल और मध्यप्रदेश के अभ्यर्थियों ने भी दाखिले में विशेष रुचि दिखाई है। कर्नाटक, केरल, दमन-दीव आदि राज्यों के अभ्यर्थियों के आवेदन भी आए हैं। आवेदन की अंतिम तिथि 22 जुलाई है। ऐसे में विश्वविद्यालय को अभी और आवेदन आने की उम्मीद है।
कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा गोरखपुर विश्वविद्यालय को अंतरराष्ट्रीय पहचान देने की दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं। देश-विदेश के छात्रों को प्रवेश में सहूलियत देने का निर्णय भी उसी लक्ष्य का हासिल करने के लिए लिया गया है। दूसरों राज्यों के साथ ही विदेश से भी आवेदन प्राप्त हो रहे हैं।