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Saturday, June 21, 2025

काली पट्टी और तख्तियों के साथ अलविदा जुमे की नमाज: वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध तेज

वाराणसी, 28 मार्च 2025, शुक्रवार। वाराणसी की फिजाओं में रमजान के आखिरी जुमे का उल्लास और आस्था का रंग कुछ खास ही था। माह-ए-रमजान के विदाई मौके पर अलविदा की नमाज के लिए शहर की मस्जिदें नमाजियों से गुलजार हो उठीं। चिलचिलाती धूप और भीषण गर्मी भी रोजेदारों के जज्बे को कम न कर सकी। ज्ञानवापी मस्जिद से लेकर नदेसर जामा मस्जिद, शिया जामा मस्जिद दारानगर, लाट सैरया मस्जिद और शहर के तमाम इलाकों जैसे मदनपुरा, बजरडीहा, रेवड़ी तालाब तक, हर ओर इबादत का माहौल दिखा। सुबह से ही घरों में बच्चों से लेकर बड़ों तक में नमाज की तैयारियों को लेकर उत्साह देखते बन रहा था।

सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने कोई कसर नहीं छोड़ी। ज्ञानवापी मस्जिद समेत प्रमुख स्थानों पर पुलिस और पीएसी के जवानों की तैनाती के साथ निगरानी कड़ी रखी गई। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक सुरक्षा का मजबूत घेरा बनाया गया था। एडीशनल सीपी एस. चनप्पा ने खुद व्यवस्थाओं का जायजा लिया और सड़कों पर नमाज न पढ़ने की हिदायत दी। इसके बावजूद, नमाजियों की भारी भीड़ के चलते कई लोगों को दूसरी मस्जिदों का रुख करना पड़ा।

इस मौके पर एक खास बात नजर आई। ज्ञानवापी मस्जिद के बाहर कुछ नमाजियों ने हाथों पर काली पट्टी बांधी और ‘We Reject Waqf Amendment Bill 2024’ लिखी तख्तियां थामीं। यह विरोध संसद में वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ था, लेकिन यह प्रदर्शन भी पूरी तरह शांतिपूर्ण रहा। नमाज के बाद रोजेदारों ने अल्लाह की बारगाह में हाथ उठाकर मुल्क में अमन-चैन, तरक्की और भाईचारे की दुआएं मांगीं।

मस्जिदों में पेश इमामों ने तकरीर के जरिए रमजान की अहमियत बताई। उन्होंने कहा कि यह मुबारक महीना हर मोमिन के लिए अल्लाह की खास नेमत है। साथ ही, ईद से पहले सदका-ए-फित्र अदा करने की ताकीद की, ताकि गरीब और जरूरतमंद भी ईद की खुशियां मना सकें। दोपहर 12:30 बजे से ज्ञानवापी और 1 बजे से शाही जामा मस्जिद में नमाजियों का आना शुरू हो गया था। अजान के बाद मस्जिदें इबादत में डूब गईं और हजारों सिर अल्लाह के सामने झुक गए।

अलविदा का यह जुमा सिर्फ नमाज का दिन नहीं था, बल्कि आस्था, एकजुटता और शांति का प्रतीक बनकर उभरा। गर्मी की तपिश के बीच भी रोजेदारों के चेहरों पर इबादत की खुशी साफ झलक रही थी। वाराणसी ने एक बार फिर साबित किया कि यहां की गंगा-जमुनी तहजीब हर हाल में कायम रहती है।

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