नई दिल्ली, 26 जनवरी 2025, रविवार। गणतंत्र दिवस पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर उत्तर प्रदेश की झांकी ने महाकुम्भ की दिव्यता और नव्यता को भव्य रूप में प्रस्तुत किया। झांकी का विषय “महाकुम्भ: स्वर्णिम भारत की विरासत और विकास” था, जिसने देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि का अद्भुत प्रदर्शन किया। झांकी में समुद्र मंथन की ऐतिहासिक कथा को जीवंत किया गया, जिसमें भगवान विष्णु कच्छप अवतार में मंदराचल को धारण करते हुए दिखे। नागवासुकी मंदराचल पर्वत पर लिपटे हुए नजर आए। देवता और राक्षस मिलकर अमृत के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे।
झांकी के अगले भाग में शंखनाद करते संत और सिर पर कलश लिए महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में झूमती-गाती दिखाई दीं। कवि वीरेन्द्र वत्स का लिखा गीत झांकी की विशेषता रही, जिसमें संस्कृत और हिंदी का सुंदर समावेश किया गया था। गीत में महाकुम्भ की महिमा और इसके महत्व को व्यक्त किया गया था। उत्तर प्रदेश की झांकी ने महाकुम्भ की दिव्यता और नव्यता को भव्य रूप में प्रस्तुत किया और देश की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समृद्धि का अद्भुत प्रदर्शन किया।
सांस्कृतिक जड़ों और प्रगति के प्रतीक के रूप में उत्तर प्रदेश को एक नई पहचान
इस झांकी ने महाकुम्भ की आध्यात्मिक महिमा को दर्शाया है। साथ ही भारत की सांस्कृतिक जड़ों और प्रगति के प्रतीक के रूप में उत्तर प्रदेश को एक नई पहचान दी है। दर्शकों ने झांकी को अद्वितीय और प्रेरणादायक बताया। उत्तर प्रदेश की झांकी कई बार राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार जीत चुकी है। इस बार भी महाकुम्भ पर आधारित यह झांकी देशवासियों के लिए गर्व का प्रतीक बनी है।