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Saturday, April 20, 2024

ग्लोबल रैंकिंग एजेंसिय- भारत ने अपनाया कड़ा रुख, एजेंडा चलाने वाले पर नकेल कसने की तैयारी

भारत की सरकार एजेंडा चलाने वाली ग्लोबल रैंकिंग एजेंसियों पर नकेल कसने की तैयारी कर रही है। प्रधानमंत्री मोदी की आर्थिक सलाहकार परिषद के सदस्य संजीव सान्याल ने यह जानकारी दी है। एक इंटरव्यूट में संजीव सान्याल ने कहा कि भारत ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर इस मामले को उठाना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि इन रैंकिंग को नॉर्थ अटलांटिक के थिंक टैंकों के छोटे समूहों द्वारा तैयार किया जाता है और तीन या चार फंडिंग एजेंसियों द्वारा इनकी फंडिंग की जाती है और यही एजेंडा चला रहे हैं।

व्यापार, निवेश पर होता है इनका असर
संजीव सान्याल ने कहा कि यह गलत तरीके से नैरेटिव गढ़ने की कोशिश है, जिसका व्यापार, निवेश और अन्य गतिविधियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है। बता दें कि बीते दिनों न्यू वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स की रिपोर्ट जारी हुई थी, जिसमें भारत को अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भी नीचे रखा गया है। वहीं एकेडमिक फ्रीडम इंडेक्स में भी भारत को पाकिस्तान और भूटान से नीचे जगह दी गई है।

रेटिंग एजेंसियों के तरीकों में खामियां
संजीव सान्याल ने कहा कि बीते कुछ सालों में भारत ने कई बैठकों में इस मुद्दे को उठाया है और बताया है कि वर्ल्ड बैंक, वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम और यूनाइटेड नेशंस डेवलेपमेंट प्रोग्राम जैसे संस्थान जिन ग्लोबल एजेंसियों से रिपोर्ट तैयार कराते हैं, उनके रिपोर्ट तैयार करने के तरीकों में खामिया हैं। सान्याल ने इन ग्लोबल रैंकिंग की अहमियत के बारे में बताते हुए कहा कि पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन में फैसले लेते समय इन रेटिंग्स का भी ध्यान रखा जाता है। कई इंटरनेशनल बैंक तो पर्यावरण, सामाजिक और प्रशासन के आधार पर लोन सब्सिडी देते हैं।

सरकार ने उठाए कदम
सान्याल के मुताबिक दिक्कत ये है कि इनका आकलन जिस आधार पर किया जाता है या गणना की जाती है, उसे लेकर समस्या है। जिस तरह से चीजें चल रही हैं, उसे देखते हुए तो विकासशील देश इस चर्चा से ही बाहर हो जाएंगे। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि केंद्रीय सचिवालय में यह मामला उठा है, जिसके बाद इस साल इस मुद्दे पर दर्जनों बैठकें हो चुकी हैं। कई विकासशील देश मानते हैं कि जिस तरह से रेटिंग एजेंसियां रिपोर्ट तैयार करती हैं, वह नव औपनिवेशवाद का नया रूप लगता है। देश के विभिन्न मंत्रालय इन रेटिंग एजेंसियों के साथ लगातार चर्चा कर रहे हैं।

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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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