गाजियाबाद, 14 जुलाई 2025: साहिबाबाद के राजेंद्र नगर इंडस्ट्रियल एरिया में स्थित “बाबू जगजीवन राम कॉलोनी” के सैकड़ों निवासियों के सिर पर बेघर होने का खतरा मंडरा रहा है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) द्वारा जारी ध्वस्तीकरण नोटिस ने कॉलोनी में हड़कंप मचा दिया है। करीब 2864 वर्गमीटर में फैली यह कॉलोनी 1962 से बसी है, जहां निम्न आयवर्ग के श्रमिक और दिहाड़ी मजदूर अपने परिवारों के साथ रहते हैं।
वर्षों पुरानी कॉलोनी, अब अवैध का ठप्पा
1962 में झुग्गी-झोपड़ियों के रूप में शुरू हुई इस कॉलोनी में समय के साथ पक्के मकान बन गए। यहां रहने वाले ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूर हैं, जिनकी रोजी-रोटी इसी क्षेत्र से चलती है। हाल ही में जीडीए ने कॉलोनी को अवैध बताते हुए 15 दिन के भीतर खाली करने का नोटिस जारी किया है। नोटिस में चेतावनी दी गई है कि तय समय में मकान खाली न होने पर प्रशासन बलपूर्वक ध्वस्तीकरण करेगा। इस नोटिस से कॉलोनीवासियों में बेचैनी छा गई है।
“हमारा घर अचानक अवैध कैसे?”
कॉलोनीवासियों का कहना है कि वे पीढ़ियों से यहां रह रहे हैं। स्थानीय निवासी रामू (बदला हुआ नाम) ने बताया, “हमने यहीं जन्म लिया, यहीं पले-बढ़े। हमारे बच्चों की शादियां यहीं हुईं। अब अचानक हमें उजाड़ने की बात हो रही है। हम कहां जाएंगे?” निवासियों का गुस्सा जीडीए के रवैये पर फूट रहा है, जो उनके अनुसार बिना ठोस कारण के कार्रवाई कर रहा है।
पीएम आवास योजना के शिलापट्ट, फिर भी ध्वस्तीकरण की तलवार
हैरानी की बात यह है कि कॉलोनी के कई मकानों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अनुदान मिला था। इन मकानों पर पीएम आवास योजना के शिलापट्ट भी लगे हैं, जो सरकार द्वारा स्वीकृति का प्रमाण हैं। निवासियों का सवाल है कि जब सरकार ने ही इन घरों को वैध माना था, तो अब जीडीए इन्हें अवैध कैसे बता सकता है?
राजनीतिक साजिश के आरोप
कॉलोनीवासियों ने स्थानीय स्तर पर राजनीतिक साजिश की आशंका जताई है। उनका दावा है कि एक स्थानीय पार्षद अपने निजी स्वार्थ के लिए कॉलोनी को हटवाना चाहता है, ताकि जमीन पर कब्जा किया जा सके या किसी बड़े प्रोजेक्ट को रास्ता मिले। हालांकि, इस आरोप की आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
न्याय की आस में कोर्ट की शरण
बेघर होने के डर से कॉलोनीवासी अब गाजियाबाद न्यायालय का दरवाजा खटखटा रहे हैं। वे ध्वस्तीकरण पर स्टे ऑर्डर लेने की कोशिश में हैं। निवासियों को उम्मीद है कि कोर्ट उनकी वर्षों की मेहनत और बस्ती के इतिहास को देखते हुए न्याय देगा।
आने वाले दिन तय करेंगे भविष्य
जीडीए के नोटिस और कॉलोनीवासियों के विरोध के बीच यह मामला अब कोर्ट में है। अगले कुछ दिनों में अदालत का फैसला इस कॉलोनी के सैकड़ों परिवारों के भविष्य को तय करेगा। तब तक, बाबू जगजीवन राम कॉलोनी के निवासियों की सांसें अटकी हुई हैं।