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Saturday, August 9, 2025

गौधाम योजना: छत्तीसगढ़ में गोवंश संरक्षण के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा

मुख्यमंत्री साय का संकल्प: दूध, चारा और रोजगार की तिहरी सौगात

रायपुर, 9 अगस्त 2025: छत्तीसगढ़ में सड़कों और खेतों में बेसहारा घूमते गोवंश की समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए भाजपा सरकार ने एक महत्वाकांक्षी कदम उठाया है। कांग्रेस सरकार की विफल रही ‘गौठान’ योजना को नया स्वरूप देते हुए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे ‘गौधाम योजना’ के रूप में लागू करने की घोषणा की है। इस योजना को ठोस ढांचा, स्पष्ट नियम और वित्तीय प्रावधानों के साथ लागू किया जा रहा है, जिसका मकसद गोवंश संरक्षण के साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना है।

मुख्यमंत्री का दृष्टिकोण: पशु संरक्षण के साथ रोजगार सृजन

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा, “गौधाम योजना से न केवल गोवंश की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि चरवाहों और गौसेवकों को नियमित आय का साधन भी मिलेगा। नस्ल सुधार के जरिए पशुओं को अधिक दूध उत्पादन और खेती में उपयोगी बनाया जाएगा। इससे जैविक खेती और चारा विकास को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ग्रामीण स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।”

गौधाम योजना की प्रमुख विशेषताएं

  • आवारा पशुओं का संरक्षण: सड़कों पर घूमने वाले और फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले गोवंश को गौधामों में सुरक्षित रखा जाएगा।
  • आर्थिक प्रावधान: प्रत्येक पशु के लिए चारे का दैनिक बजट और चरवाहों के लिए मानदेय निर्धारित।
  • आधुनिक सुविधाएं: गौधामों में पानी, शेड, बाड़ा और बिजली की अनिवार्य व्यवस्था।
  • रैंकिंग और पुरस्कार: बेहतर प्रदर्शन करने वाले गौधामों को सरकार पुरस्कृत करेगी।
  • प्रथम चरण: राष्ट्रीय राजमार्ग NH-6 के आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित होंगे।

क्यों पड़ी योजना की जरूरत?

हाल ही में सड़कों पर मवेशियों की मौत और हाई कोर्ट के कड़े रुख ने सरकार को त्वरित कार्रवाई के लिए प्रेरित किया। पिछले सप्ताह तीन हादसों में 90 से अधिक गायों की मौत ने इस समस्या की गंभीरता को उजागर किया। मौजूदा गौशालाओं की सीमित क्षमता के चलते गौधाम योजना को वैज्ञानिक और व्यवस्थित ढांचे में लागू करने का निर्णय लिया गया।

संचालन के लिए सख्त मानक

गौधाम संचालन के लिए पात्र संस्थाओं का चयन कड़े मापदंडों पर होगा। गौसेवा में 5 वर्ष का अनुभव, नस्ल सुधार में दक्षता, जैविक खेती का अनुभव और 200 पशुओं की देखभाल की क्षमता अनिवार्य होगी। पंजीकृत गौशालाओं को प्राथमिकता दी जाएगी, लेकिन अन्य स्वयंसेवी संस्थाएं, एनजीओ, ट्रस्ट या किसान उत्पादक कंपनियां भी पात्र होंगी।

आर्थिक सहायता और चारा विकास

योजना के तहत प्रति पशु अनुदान दूसरे वर्ष से 20 रुपये, तीसरे वर्ष से 30 रुपये और चौथे वर्ष से 35 रुपये प्रतिदिन होगा। गोबर खरीदी की व्यवस्था नहीं होगी, लेकिन चारा विकास के लिए एक एकड़ पर 47,000 रुपये और पांच एकड़ पर 2,85,000 रुपये की सहायता दी जाएगी।

राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव

कांग्रेस की गौठान योजना की विफलता को भुनाते हुए भाजपा सरकार ने गौधाम योजना को न केवल गोवंश संरक्षण का माध्यम बनाया है, बल्कि इसे ग्रामीण रोजगार और जैविक खेती से जोड़कर एक प्रभावी राजनीतिक पहल के रूप में पेश किया है। यह योजना छत्तीसगढ़ में पशु संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकती है।

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