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काशी में देव दीपावली से पहले सुरों की गंगा प्रवाहमान

वाराणसी, 11 नवंबर 2024, सोमवार। काशी में देव दीपावली महोत्सव से पहले एक अद्वितीय सांगीतिक अनुभव होने वाला है। अस्सी घाट पर आयोजित गंगा महोत्सव में तीन पद्म अवार्डी और बनारस घराने के अलावा देश भर के 34 कलाकार अपनी प्रतिभा दिखाएंगे। 12 से 14 नवंबर तक गंगा तट पर गायन, वादन और नृत्य की प्रस्तुतियां होंगी। इसका समापन 15 नवंबर को नमो घाट पर अमेरिकी समूह के गायन से होगा।
12 नवंबर से गंगा महोत्सव का आगाज
गंगा महोत्सव का आगाज 12 नवंबर को होगा, जिसमें बनारस घराने के प्रसिद्ध शास्त्रीय गायक पं. साजन मिश्र अपनी मधुर आवाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे। इस अवसर पर आराधना सिंह अपने सोलफुल गायन से सबको आकर्षित करेंगी, जबकि सितार वादिका डॉ. सुप्रिया शाह का मोहक वादन श्रोताओं को भावविभोर कर देगा। इसके अलावा, विपुल चौबे का मनमोहक गायन, पारसनाथ यादव का भावपूर्ण बिरहा गायन और शिवशंकर विश्वकर्मा का भजन गायन भी इस महोत्सव की शोभा बढ़ाएंगे। नृत्य के क्षेत्र में कथक नृत्यांगना डॉ. यास्मिन सिंह और कुचिपुडी नृत्यांगना हिमांशी कतराड्डा अपने आकर्षक नृत्य से सबको मोहित करेंगी। डॉ. नवनीता चौधरी का शास्त्रीय गायन और काशी रस बैंड का शास्त्रीय वादन भी इस महोत्सव का महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
13 नवंबर को तीन पीढ़ियों की संगीत परंपरा की जुगलबंदी
गंगा महोत्सव की दूसरी शाम 13 नवंबर को संगीत और नृत्य के कई अद्वितीय प्रदर्शन होंगे। इस दिन की शुरुआत सितार वादक पं. नरेंद्र मिश्रा और वायलिन वादक पं. सुखदेव मिश्रा की जुगलबंदी से होगी, जो तीन पीढ़ियों की संगीत परंपरा को प्रदर्शित करेंगे। इसके अलावा, मुंबई के बंदा बैरागी अपने मधुर गायन से श्रोताओं को आकर्षित करेंगे। डॉ. श्रावणी विश्वास का सितार वादन और डॉ. मधुमिता भट्टाचार्य व आकांक्षा त्रिपाठी का गायन भी इस शाम की विशेषता होगी। नृत्य के क्षेत्र में नयनिका घोष का कथक और अनु सिन्हा का कथक प्रदर्शन होगा, जबकि जगदीश्वर प्रिया लक्ष्मी फाउंडेशन का समूह नृत्य और रिचा गुप्ता समूह का नृत्य भी दर्शकों को मोहित करेगा। अरुण मिश्रा का गायन भी इस शाम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगा।
14 नवंबर को धीमर नृत्य और भरतनाट्यम होगा खास
गंगा महोत्सव की तीसरी शाम 14 नवंबर को कई अद्वितीय प्रदर्शन होंगे। बनारस घराने के सितारवादक पं. शिवनाथ मिश्र अपने पुत्र और पौत्र के साथ तीन पीढ़ियों की सितार की युगलबंदी प्रस्तुत करेंगे, जो आकर्षण का केंद्र होगी। इस दिन पद्मश्री कुमारी देवयानी भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत करेंगी, जो दक्षिण भारत में बहुत प्रसिद्ध है और इसका महत्व तमिलनाडु राज्य में विशेष रूप से है। इसके अलावा, कर्नाटक की विदुषी सुजाता गुरव शास्त्रीय गायन, सौरभ गौरव मिश्र व अदिति शर्मा की टीम कथक नृत्य प्रस्तुत करेंगी। वहीं, आस्था शुक्ला का गायन, चेन्नई की रश्मि मेनन का भरतनाट्यम, अयोध्या की वंदना मिश्रा का समूह नृत्य, अमलेश शुक्ला का लोकगायन, झांसी की राधा प्रजापति का धीमर नृत्य और मथुरा के हेमंत बृजवासी का गायन भी इस शाम की विशेषता होगी।

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