16.1 C
Delhi
Friday, November 22, 2024

महामना की बगिया में गंगा शोध केंद्र बंद होने पर लामबंद हुए गंगा मित्र

वाराणसी। महामना की बगिया काशी हिंदू विश्वविद्यालय में गंगा शोध केंद्र बंद होने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। गंगा स्वच्छता और निर्मलीकरण की मुहिम को वाराणसी में ही बड़ा झटका लगने से गंगा प्रेमियों में आक्रोश व्याप्त है। जिसको लेकर इस केंद्र से जुड़े गंगा मित्रों ने मंगलवार को वीसी आवास के बाहर जमकर विरोध प्रदर्शन किया। धरना दे रहे लोगों ने कहा कि इस शोधकेंद्र से जुड़े तकरीबन 500 से अधिक गंगा सेवा मित्र अब बेरोजगार हो गए हैं। उन्होंने मांग किया है कि इस केन्द्र को सुचारु रूप से चलने दिया जाए।

बता दें, काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय जी का लगाव गंगा और गौ से भी रहा है। विश्वविद्यालय परिसर में शैक्षणिक माहौल के साथ-साथ भारतीय सनातन परंपरा और विरासत की अद्भुत झलक देखने को मिलती है। निश्चित ही इस शोध केंद्र के बंद होने से छात्रों के साथ-साथ गंगा प्रेमियों को भी बड़ा झटका लगा है। विश्वविद्यालय के इस फैसले के साथ ही इस शोध केंद्र से जुड़े तकरीबन 500 से अधिक गंगा सेवा मित्र भी अब बेरोजगार हो गए हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन के इस फैसले के बाद गंगा सेवा मित्रों में काफ़ी गुस्सा है। शोध केंद्र पर प्रोजेक्ट के आधार पर कार्य कर चुके BHU शोध छात्र पतंजलि पांडे ने कहा कि यह फैसला मदन मोहन मालवीय जी के सपनों और संकल्पों को तोड़ने जैसा है। पहले कैंपस में स्थित नेपाली शोध सहित अन्य केंद्र को बंद करने की कोशिश हुई और अब गंगा शोध केंद्र पर ताला लगा दिया गया है।

प्राक्टोरियल बोर्ड के अधिकारी को ज्ञापन देते गंगा सेवा मित्र

गंगा मित्रों ने इन 4 बिन्दुओं पर विचार करने की कही बात

  • काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के कार्यकारिणी द्वारा 21 अप्रैल 2015 में गठित भारत रत्न महामना मालवीय के नाम पर चलने वाला एक मात्र वर्किंग गंगा सेंटर को काल्पनिक सेंटर बताकर बिना किसी जांच पड़ताल के किये ही बंद किया जाना।
  • गंगा रिसर्च केन्द्र को बंद करने में विश्वविद्यालय के नियमों को अनदेखा किया जाना, जबकि अन्य सेंटर को बंद करने से पहले दो से तीन कमेटी बनाकर जमीनी स्तर पर 6 माह तक अलग-अलग रिपोर्ट लिया गया फिर एकेडमी काउंसिल के मीटिंग में बंद होने का निर्णय लिया गया।
  • गंगा रिसर्च केन्द्र के विशेष रूप से प्रशिक्षित ईको स्किल्ड गंगा मित्रों में खर्च हुआ धन निरर्थक साबित होना एवं मां गंगा के हर पहलू को कम्युनिटी स्तर तक पहुंचने का कार्य भी अवरोध होना।
  • इस निर्णय से केन्द्र से वर्ष 2017 से लगातार कार्यरत तकनीकी प्रशिक्षित प्राप्त 700 गंगा मित्र एवं प्रयागराज से बलिया तक 7 जिलों में जल संरक्षण समितियों में कार्यकर्ता एवं सोशल वर्कर के रूप कार्यरत 30,000 जल संरक्षक की नेटवर्किंग का ध्वस्त हो जाना।

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »