काशीपुराधिपति की नगरी में एक बार फिर रूठी गंगा…

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वाराणसी। उत्तराखंड में हो रही लगातार बारिश का असर मैदानी इलाकों में एक बार फिर अब दिखने लगा है। वाराणसी में गंगा नदी का जलस्तर लगातार तेजी से बढ़ रहा है, लिहाजा बाढ़ के खतरे को देखते हुए प्रशासन एक बार फिर अलर्ट मोड में आ गया है। ऐसे में जिला प्रशासन ने संभावित बाढ़ को देखते हुए एडवाइजरी जारी कर दी है। वाराणसी में गंगा का चेतावनी बिंदु 70.262 मीटर है। खतरे का निशान 71.262 मीटर है। ऐसे में गंगा चेतावनी बिंदु से महज 1.66 मीटर नीचे बह रही है। शनिवार सुबह 8 बजे गंगा का जलस्तर 68.33 मीटर था और उसमे 10 सेंटीमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बढ़ोत्तरी हो रही थी।

जिला प्रशासन ने जारी की एडवाइजरी, जारी हुआ हेल्पलाइन नंबर

जिला प्रशासन ने एडवाइजरी जारी कर आम जनमानस से बाढ़ से पूर्व, बाढ़ के दौरान तथा बाढ़ के बाद बरते जाने वाले एहतियात के संबंध में अपील की है। इसमें बाढ़ से पूर्व, बाढ़ के दौरान और बाढ़ के बाद की एडवाइजरी जारी की गई है। इसके अलावा जिला प्रशासन ने बाढ़ प्रभावितों की मदद के लिए तीन हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। इसमें 0542-2508550, 0542-2504170, 91400371374 इन नंबरों पर 24 घंटे सूचना दी जा सकती है।

मणिकर्णिका घाट की छत पर अंतिम संस्कार

काशी में एक बार फिर गंगा का जलस्तर बढ़ने से पक्के घाटों का संपर्क टूट गया है, तट पर बने छोटे-बड़े मंदिर जलमग्न हो गए। बाढ़ की विभीषिका ने सभी पक्के घाटों के साथ ही अब महाश्मशान मणिकर्णिका घाट को भी डुबो दिया है। आलम यह है कि अब ऐसी परिस्थिति से निपटने के लिए बनाई गई छत या जिसे बड़ा प्लेटफार्म कहते है वहां शवदाह शुरू किया गया है। लेकिन जगह कम हो जाने और भीड़ बढ़ने की वजह से लोगों की मुसीबतें बढ़ गई हैं।

दशाश्वमेध घाट के छत पर गंगा आरती

घाट और मंदिर डूबने के बाद विश्व प्रसिद्ध गंगा आरती पर भी बाढ़ का असर देखने को मिल रहा है। कई बार गंगा आरती का स्थान बदलने के बाद अब दशाश्वमेध घाट के सीढ़ियों पर नहीं बल्कि छत पर गंगा आरती की जा रही है। गंगा सेवा निधि के अध्यक्ष सुशांत मिश्र ने बताया कि जब घाटों की पूरी सीढियां जलमग्न हो गई तो अब गंगा आरती का आयोजन छत पर होने लगी है। अब जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, तब तक छत पर ही आरती होती रहेगी।

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