अयोध्या, 5 मई 2025, सोमवार। 5 जून 2025 को रामनगरी अयोध्या में आस्था का अनुपम संगम साकार होगा, जब गंगा दशहरा के पावन अवसर पर 14 मंदिरों में एक साथ देव प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा होगी। यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पुनर्जागरण का प्रतीक है, जो अयोध्या की पवित्र धरती को नई ऊर्जा से सराबोर करेगा।
आस्था की बयार, 101 आचार्यों का मंत्रोच्चार
गंगा दशहरा, हिंदू पंचांग में अत्यंत शुभ माना जाता है, और इस दिन अयोध्या के 14 मंदिरों में देव विग्रहों को वैदिक विधि-विधान से जाग्रत किया जाएगा। 101 विद्वान आचार्य मंत्रोच्चार के साथ प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया संपन्न करेंगे। प्रत्येक मंदिर के लिए एक यजमान चुना गया है, जो इस पवित्र कार्य में सहभागी बनेगा। सैकड़ों विशिष्ट अतिथि और श्रद्धालु इस ऐतिहासिक क्षण के साक्षी बनने अयोध्या पहुंचेंगे।
मंदिरों का वैभव, देवताओं का आह्वान
इस महायज्ञ में श्रीराम दरबार, वीर हनुमान, गणेश जी, मां अन्नपूर्णा, मां शीतला, लक्ष्मी-नारायण, गोविंद देव, शिव परिवार, वैद्यनाथ, राधा-कृष्ण, मां दुर्गा, सूर्य देव और आदि शंकराचार्य मंदिरों में प्रतिमाएं प्रतिष्ठित होंगी। प्रत्येक मूर्ति के साथ अयोध्या में भक्ति, शांति और शक्ति की नई लहर बहेगी। ये मंदिर न केवल पूजा-अर्चना के केंद्र होंगे, बल्कि सनातन संस्कृति के जीवंत प्रतीक के रूप में भी उभरेंगे।
तीन दिन का भव्य अनुष्ठान
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के संचालन में यह आयोजन 3 जून से शुरू होगा। पहले तीन दिन जलवास, अन्नवास और सैयावास जैसे धार्मिक अनुष्ठान होंगे, जो प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी का हिस्सा होंगे। 5 जून को गंगा दशहरा के दिन सभी मंदिरों में एक साथ प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य समारोह होगा। ट्रस्ट ने आचार्यों, यजमानों और कन्याओं के चयन सहित सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं।
अयोध्या का स्वर्णिम अध्याय
यह आयोजन अयोध्या के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा। यह न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं, बल्कि देश-विदेश के सनातन भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा। राम मंदिर निर्माण के बाद यह पहला अवसर है, जब रामनगरी एक साथ इतने मंदिरों में आध्यात्मिक उत्सव की साक्षी बनेगी। यह पल अयोध्या को विश्व पटल पर और अधिक गौरव प्रदान करेगा, जहां आस्था, संस्कृति और भक्ति का त्रिवेणी संगम बहेगा।
5 जून 2025 को अयोध्या न केवल गंगा दशहरा मनाएगी, बल्कि अपनी सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी। यह आयोजन हर सनातनी के लिए गर्व और श्रद्धा का क्षण होगा।