वाराणसी, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। वाराणसी की तंग गलियों में एक ऐसी घटना ने सबको झकझोर दिया, जो मानवता को शर्मसार करती है। एक पांच साल की मासूम, जो अपने पिता के दोस्त विनोद के साथ खेलने निकली थी, उसकी जिंदगी एक पल में तहस-नहस हो गई। यह कहानी न केवल उस बच्ची के दर्द की है, बल्कि एक मां की बेबसी, एक कुत्ते की वफादारी की भी है।
शनिवार की दोपहर, 12 अप्रैल को, मासूम के पिता काम पर गए थे। तभी उनका दोस्त विनोद (40), जो सेंट जॉन्स मड़ौली में माली का काम करता है, उनके घर पहुंचा। परिवार से उसकी पुरानी जान-पहचान थी। मां घर के कामों में व्यस्त थी, और विनोद ने मासूम को घुमाने के बहाने अपने साथ ले गया। घंटों बीत गए, लेकिन बच्ची वापस नहीं लौटी। मां की बेचैनी बढ़ने लगी। उसने विनोद को फोन किया, लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था। आसपास तलाश करने पर भी कोई सुराग नहीं मिला।
तभी घर के बाहर बंधा पालतू कुत्ता बेचैन होकर भौंकने लगा। जंजीर तोड़ने की कोशिश और उसकी बेचैनी को देख मां ने उसे खोल दिया। कुत्ता तेजी से क्रिश्चियन कब्रिस्तान की ओर दौड़ा। दस मिनट बाद वह वापस आया और मां को खींचकर उसी ओर ले गया। कब्रिस्तान के एक कोने में मां ने जो देखा, वह दिल दहला देने वाला था। उसकी मासूम बेटी बदहवास हालत में पड़ी थी। मां ने तुरंत उसे गोद में उठाया और घर ले आई। बच्ची अपनी मां से लिपटकर रोने लगी और बोली, “बड़े पापा बहुत बैड हैं।”
मां का दिल टूट गया जब उसने देखा कि बच्ची के प्राइवेट पार्ट से खून बह रहा था। बच्ची सो गई, लेकिन मां की रात आंसुओं में डूबी रही। पिता के घर लौटने पर दोनों ने बच्ची को कबीर चौरा अस्पताल पहुंचाया, जहां उसका इलाज हुआ। सोमवार को परिजनों ने लालपुर पांडेयपुर पुलिस को तहरीर दी। दीनदयाल अस्पताल में मेडिकल जांच के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया।
एसीपी कैंट विदुष सक्सेना ने बताया कि आरोपी विनोद, बच्ची के पिता का दोस्त होने के कारण परिवार में घुला-मिला था। उसने मासूम को बहाने से कब्रिस्तान ले जाकर इस घिनौने कृत्य को अंजाम दिया और फरार हो गया। पुलिस ने आरोपी की गिरफ्तारी के लिए दबिश शुरू कर दी है। बच्ची की हालत अब स्थिर है, लेकिन उसके मासूम मन पर पड़े जख्म शायद ही कभी भरें।
इस कहानी में एक ओर विश्वास का दर्दनाक विश्वासघात है, तो दूसरी ओर एक कुत्ते की वफादारी और मां की हिम्मत है, जो अंधेरे में उम्मीद की किरण बनकर उभरी। यह घटना समाज को यह सोचने पर मजबूर करती है कि आखिर हम अपने बच्चों को कितना सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं।