नई दिल्ली, 30 जुलाई 2025: संसद के मॉनसून सत्र में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर गर्मागर्म बहस छिड़ी। लोकसभा में चर्चा के दूसरे दिन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के हर सवाल का न सिर्फ जवाब दिया, बल्कि तथ्यों और तर्कों के साथ उनकी बोलती बंद कर दी। पहलगाम में मासूमों की हत्या करने वाले आतंकियों से लेकर पाकिस्तान में बैठे उनके आकाओं तक, शाह ने हर मुद्दे पर स्पष्टता के साथ अपनी बात रखी। आइए, जानते हैं विपक्ष के सवाल और अमित शाह के जवाबों की पूरी कहानी।
पहलगाम हमले पर विपक्ष का सवाल
कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने लोकसभा में सवाल उठाया कि पहलगाम हमले के आतंकी अब तक गिरफ्त से बाहर क्यों हैं? उन्होंने पूछा कि आखिर आतंकी वहां तक कैसे पहुंचे और निहत्थे लोगों की हत्या कैसे कर दी? गोगोई के साथ-साथ विपक्ष के अन्य नेता भी हमले की जिम्मेदारी को लेकर सरकार पर निशाना साध रहे थे।
अमित शाह का जवाब: शाह ने जवाब में बताया कि पहलगाम हमले के तीनों आतंकी—सुलेमान, अफगान और जिबरान—ऑपरेशन महादेव के तहत मार गिराए गए। इस संयुक्त अभियान में भारतीय सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने मिलकर इन आतंकियों को ढेर किया। शाह ने बताया कि सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर था, जो पहलगाम और गगनवीर हमलों में शामिल था। अफगान और जिबरान ए-ग्रेड आतंकी थे। शाह ने कहा, “इन तीनों ने बैरसन घाटी में हमारे नागरिकों की हत्या की थी, और अब ये तीनों मारे जा चुके हैं। मैं सुरक्षा बलों को साधुवाद देता हूं।”
पाकिस्तान कनेक्शन पर चिदंबरम का सवाल
पूर्व गृह मंत्री पी. चिदंबरम ने सवाल उठाया कि क्या सबूत है कि पहलगाम हमले के आतंकी पाकिस्तान से आए थे? शाह ने इस पर तीखा पलटवार करते हुए कहा, “चिदंबरम जी, आप किसे बचाना चाहते हैं? पाकिस्तान को बचाकर आपको क्या मिलेगा?” उन्होंने बताया कि तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे, और उनके पास से मिले वोटर आईडी कार्ड, पाकिस्तानी चॉकलेट और राइफलें इसकी पुष्टि करती हैं। शाह ने आगे कहा कि आतंकियों को खाना पहुंचाने वालों को पहले ही हिरासत में लिया गया था, और एनआईए ने शरण देने वालों को गिरफ्तार किया। शवों की पहचान और एफएसएल रिपोर्ट से यह साफ हो गया कि ये वही आतंकी थे, जिन्होंने पहलगाम में हमला किया।
ऑपरेशन सिंदूर और सीजफायर पर सवाल
विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर को रोकने पर भी सवाल उठाए, पूछा कि जब पाकिस्तान घुटने टेकने की स्थिति में था, तो ऑपरेशन क्यों रोका गया? शाह ने जवाब में कहा कि भारतीय सेना के प्रहार ने पाकिस्तान को सरेंडर करने पर मजबूर कर दिया था। उन्होंने 7 मई को शुरू हुए ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुए बताया कि 20 मिनट के इस अभियान में पाकिस्तान के 9 आतंकी ठिकानों और 11 एयरबेस को नष्ट कर दिया गया, बिना किसी नागरिक हानि के। शाह ने कहा, “उनके पास हमारे सामने आत्मसमर्पण के अलावा कोई रास्ता नहीं था। उनके डीजीएमओ ने सीजफायर की गुहार लगाई, तब हम रुके।”
शाह ने विपक्ष को इतिहास का पाठ भी पढ़ाया। उन्होंने 1948 के युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि जवाहरलाल नेहरू ने सरदार पटेल के विरोध के बावजूद एकतरफा युद्धविराम की घोषणा की थी, जिसके कारण पाक अधिकृत कश्मीर का अस्तित्व बना। उन्होंने 1962 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि नेहरू ने अक्साई चिन को चीन के हवाले कर दिया, यह कहते हुए कि वहां “घास का तिनका भी नहीं उगता।” शाह ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि कश्मीर को लेकर उनकी ऐतिहासिक गलतियों ने आज की स्थिति को जन्म दिया।
पीएम मोदी पर सवाल
विपक्ष ने यह भी सवाल उठाया कि पहलगाम हमले के बाद पीएम मोदी कश्मीर जाने के बजाय बिहार में चुनावी सभा क्यों कर रहे थे? शाह ने स्पष्ट किया कि पीएम मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर भारत लौटने के बाद तुरंत सीसीएस की बैठक बुलाई। 30 अप्रैल को हुई इस बैठक में सुरक्षा बलों को पूरी आजादी दी गई। शाह ने कहा, “जब ऐसी घटनाएं होती हैं, तो देश की भावनाओं के हिसाब से जवाब दिया जाता है, और हमने आतंक के आकाओं को नेस्तनाबूद कर दिया।”
अमित शाह ने न सिर्फ विपक्ष के सवालों का जवाब दिया, बल्कि तथ्यों, सबूतों और इतिहास के हवाले से उनकी हर दलील को ध्वस्त किया। पहलगाम हमले के आतंकियों को ठिकाने लगाने से लेकर ऑपरेशन सिंदूर के जरिए पाकिस्तान को सबक सिखाने तक, शाह ने साफ कर दिया कि सरकार न केवल जिम्मेदारी लेती है, बल्कि कार्रवाई भी करती है। उन्होंने विपक्ष को आइना दिखाते हुए कहा, “जो जवाब मांगते हैं, उन्हें जवाब देने की जरूरत नहीं, क्योंकि हमारे जवानों ने आतंकियों को ठोक दिया!”