वाराणसी, 3 अप्रैल 2025, गुरुवार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी की बहू, निधि तिवारी को अपना प्राइवेट सेक्रेटरी नियुक्त कर एक नया इतिहास रचा है। 11 साल के अपने प्रधानमंत्री कार्यकाल में पहली बार उन्होंने किसी महिला को इस अहम पद पर चुना। भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी निधि की यह उपलब्धि न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे काशी के लिए गर्व का क्षण है। विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल की टीम में अपनी काबिलियत साबित करने के बाद निधि अब सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में पहुंची हैं।
निधि के ससुराल काशी के महमूरगंज इलाके की श्रीरामनगर कॉलोनी में जश्न का माहौल है। निधि इस वक्त दिल्ली में हैं, लेकिन उनके पति डॉ. सुशील जायसवाल और सास-ससुर वाराणसी में खुशियां मना रहे हैं। घर पर निधि की मां प्रभा तिवारी भी मौजूद हैं। शुभकामनाएं देने वालों का तांता लगा है और मिठाइयों के साथ उत्साह की लहर दौड़ रही है। डॉ. सुशील ने बताया कि निधि का कहना है, “जिन अधिकारियों ने मुझे चुना, उनकी उम्मीदों पर खरा उतरना मेरा लक्ष्य है।”
एक लव स्टोरी से शुरू हुआ सफर
निधि तिवारी मूल रूप से लखनऊ की रहने वाली हैं। ग्रेजुएशन के बाद वे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) में पढ़ाई के लिए आईं। 2005 में उन्होंने M.Sc बायोकेमिस्ट्री में दाखिला लिया और हॉस्टल में रहकर पढ़ाई शुरू की। इसी दौरान उनकी मुलाकात मेडिकल छात्र डॉ. सुशील जायसवाल से हुई। लैब में कभी-कभार होने वाली बातचीत धीरे-धीरे दोस्ती में बदली और फिर प्यार में। दिसंबर 2006 में दोनों ने शादी कर ली। यह प्रेम कहानी न सिर्फ रोमांचक थी, बल्कि एक ऐसी जोड़ी की नींव बनी, जो एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने में साथ देती रही।
शादी के बाद भी नहीं रुकी पढ़ाई
डॉ. सुशील बताते हैं, “मैं 1999 से BHU का छात्र रहा। निधि से शादी के बाद उसने वैज्ञानिक बनने की तैयारी शुरू की।” 2007 में निधि का चयन भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC) में हुआ और वे महाराष्ट्र चली गईं। लेकिन उनका सपना कुछ और था—ब्यूरोक्रेसी में बड़ा मुकाम हासिल करना। 2008 में बेटे के जन्म के बाद वे घर लौटीं और नई मंजिल की ओर कदम बढ़ाया। उसी साल UPPSC की परीक्षा दी और असिस्टेंट कमिश्नर (कॉमर्शियल टैक्स) बनीं। दो साल नौकरी करने के बाद 2011 में उन्होंने UPSC का रास्ता चुना। दिल्ली शिफ्ट हुईं और पहले ही प्रयास में IAS क्वालिफाई कर लिया।
IFS तक का सुनहरा सफर
पहले UPSC प्रयास में रैंक कम होने के कारण निधि को भारतीय रेलवे कार्मिक सेवा (IRPS) मिली, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया। उनका लक्ष्य IFS या IAS था। 2013 में दोबारा कोशिश की और जनरल कैटेगरी में 96वीं रैंक हासिल की। IFS का ऑप्शन चुनते ही उनका सपना सच हो गया। 2017 में उनकी पहली पोस्टिंग विदेश मंत्रालय (दिल्ली) में हुई, फिर वियना (ऑस्ट्रिया) में दो साल तक संयुक्त राष्ट्र के साथ भारत के मुद्दों पर काम किया।
कौन हैं डॉ. सुशील जायसवाल?
निधि के पति डॉ. सुशील वाराणसी के मशहूर लेप्रोस्कोपिक सर्जन हैं। घुटना प्रत्यारोपण, सिर और गले की सर्जरी के साथ-साथ एनेस्थीसिया में उनकी महारत है। 22 साल के अनुभव के साथ वे एम्स दिल्ली, सर गंगाराम हॉस्पिटल और कई शहरों में ट्रेनिंग के लिए बुलाए जाते हैं। श्रीरामनगर कॉलोनी में उनका क्लिनिक इलाके का जाना-माना नाम है।
मां की जुबानी: निधि कभी हारी नहीं
निधि की मां प्रभा तिवारी कहती हैं, “निधि हमेशा अव्वल रही। प्री-स्कूल से लेकर IFS तक, उसने हर कदम पर गोल्ड मेडल जीता। उसकी जिंदगी में कभी असफलता नहीं आई।” लखनऊ यूनिवर्सिटी से B.Sc (2004) और BHU से M.Sc (2007) में गोल्ड मेडल, BARC और IFS ट्रेनिंग में भी टॉपर—निधि का रिकॉर्ड शानदार रहा।
PMO तक का सफर
नवंबर 2022 से निधि PMO में डिप्टी सेक्रेटरी रहीं। विदेश मंत्रालय में अंडर सेक्रेटरी और फिर ‘विदेश और सुरक्षा’ वर्टिकल में अजित डोभाल के नेतृत्व में काम किया। अब प्राइवेट सेक्रेटरी के रूप में वे पीएम मोदी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर देश की सेवा करेंगी। निधि तिवारी की यह कहानी मेहनत, लगन और सपनों को सच करने की प्रेरणा है। काशी की बहू अब देश की बेटी बनकर नई ऊंचाइयां छू रही है।