देहरादून, 4 अप्रैल 2025, शुक्रवार। उत्तराखंड के सुदूर पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना विकासखंड में बसा आदर्श मत्स्य ग्राम डूंगरी आज एक अनोखे आयोजन का गवाह बना। भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की देहरादून शाखा ने यहां “मानकों की चौपाल” लगाई, जो न सिर्फ ग्रामीणों के लिए एक नई सोच लेकर आई, बल्कि गुणवत्ता और जागरूकता का संदेश भी दे गई। पहाड़ की वादियों में बसे इस छोटे से गांव में शुक्रवार को विकास और समृद्धि की नई बयार बही, जहां ग्रामीणों ने सीखा कि मानक कैसे उनके जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
चौपाल में क्या हुआ खास?
इस अनूठे कार्यक्रम में BIS देहरादून शाखा के निर्देशक सौरभ तिवारी, संयुक्त निदेशक सचिन चौधरी, सहायक निदेशक सौरभ चौरसिया और मानक संवर्धन अधिकारी सरिता त्रिपाठी ने शिरकत की। चौपाल का मकसद था ग्रामीणों को मानकों की अहमियत समझाना। सौरभ तिवारी ने कहा, “मानक सिर्फ नियम नहीं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने का रास्ता हैं।” अधिकारियों ने ग्रामीणों से अपील की कि वे रोज़मर्रा की चीज़ें खरीदते वक्त गुणवत्ता पर ध्यान दें, ताकि उनकी मेहनत की कमाई सही जगह लगे।
ग्रामीण रोज़गार की तारीफ, गुणवत्ता का सबक
चौपाल में डूंगरी के ग्रामीणों के रोज़गार के प्रयासों ने सबका ध्यान खींचा। मछली पालन के लिए मशहूर इस गांव में मेहनत और लगन की मिसाल देख सौरभ तिवारी ने कहा, “आपके प्रयास प्रेरणादायक हैं। मानकों को अपनाकर आप इसे और ऊंचाइयों तक ले जा सकते हैं।” कार्यक्रम में ग्रामीणों को बताया गया कि मानक उत्पाद उनकी मेहनत को बाज़ार में बेहतर पहचान दिला सकते हैं, जिससे उनकी आय और जीवन स्तर में इज़ाफा होगा।
बड़े चेहरे, बड़ा संदेश
इस मौके पर डीडीहाट के विधायक विशन सिंह चुफाल और जिला पंचायत प्रशासक दीपिका बोरा भी मौजूद रहीं। विधायक चुफाल ने कहा, “पहाड़ के गांवों तक ऐसी पहल पहुंचना गर्व की बात है। यह ग्रामीणों को सशक्त बनाएगा।” वहीं, BIS के रिसोर्स पर्सन दीपक जोशी, पूर्व सैनिक हेमराज बिष्ट, दीवान सिंह बिष्ट सहित गांव के तमाम लोग इस संवाद का हिस्सा बने। विकासखंड के अधिकारी भी इस चौपाल में शामिल हुए, जिसने इसे और भी खास बना दिया।
मानक क्यों ज़रूरी?
चौपाल में चर्चा का मुख्य मुद्दा था—मानक ग्रामीण जीवन को कैसे बदल सकते हैं। अधिकारियों ने बताया कि गुणवत्तापूर्ण सामान न सिर्फ स्वास्थ्य और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं, बल्कि लंबे वक्त तक चलते हैं। चाहे मछली पालन का सामान हो या घरेलू ज़रूरतों की चीज़ें, मानकों पर आधारित उत्पाद ग्रामीणों को आत्मनिर्भरता की राह दिखा सकते हैं। यह संदेश डूंगरी के हर घर तक पहुंचा कि सही चीज़ चुनना ही सही भविष्य की नींव है।
एक नई शुरुआत
डूंगरी की यह चौपाल सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि एक नई सोच की शुरुआत है। पहाड़ों में बसे इस गांव ने आज मानकों की ताकत को समझा और उसे अपनाने का संकल्प लिया। भारतीय मानक ब्यूरो की यह पहल उत्तराखंड के दूरस्थ इलाकों तक गुणवत्ता का प्रकाश फैलाने का वादा करती है। जैसा कि सौरभ तिवारी ने कहा, “मानक अपनाइए, जीवन संवारिए।” यह चौपाल न सिर्फ डूंगरी, बल्कि पूरे पिथौरागढ़ के लिए एक प्रेरणा बन गई।
पहाड़ों से निकली उम्मीद की किरण
आदर्श मत्स्य ग्राम डूंगरी की यह छोटी-सी चौपाल अब बड़े बदलाव की कहानी लिख रही है। पहाड़ की मेहनतकश जनता अब सिर्फ मेहनत नहीं, बल्कि स्मार्ट तरीके से आगे बढ़ने की राह पर है। मानकों की यह बात ग्रामीणों के दिलों में उतर गई, और आने वाले दिनों में यह गांव गुणवत्ता की मिसाल बन सकता है। तो क्या यह चौपाल उत्तराखंड के गांवों के लिए एक नई सुबह लेकर आई है? वक्त इसका जवाब देगा, लेकिन डूंगरी ने तो पहला कदम उठा लिया है!