नई दिल्ली, 10 दिसंबर 2024, मंगलवार। सुप्रीम कोर्ट ने मुफ्त राशन को लेकर एक बड़ा सवाल उठाया है। कोरोना महामारी के बाद से मुफ्त राशन दिए जा रहे हैं, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि कब तक मुफ्त में राशन दिया जा सकता है? जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने यह सवाल केंद्र सरकार से पूछा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के मौके पैदा करने पर जोर देना चाहिए। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इसका मतलब है कि सिर्फ टेक्सपेयर ही इससे वंचित रह गए हैं। यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मुफ्त राशन देने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट का यह सवाल सरकार को सोचने पर मजबूर कर सकता है कि वह मुफ्त राशन देने की नीति को कैसे बदल सकती है और प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के मौके पैदा कर सकती है।
मुफ्त राशन की सीमा क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा बड़ा सवाल!
कोरोना महामारी के दौरान प्रवासी मजदूरों की समस्याओं और दुखों पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण सवाल उठाया है। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि ‘ई-श्रम’ पोर्टल पर रजिस्टर्ड सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन मुहैया कराने के लिए निर्देश जारी किए जाने की आवश्यकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एक सवाल उठाया है कि कब तक मुफ्त में राशन दिया जा सकता है? कोर्ट ने कहा है कि हमें इन प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार के मौके, रोजगार और क्षमता निर्माण के लिए काम करना चाहिए। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने समय-समय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड जारी करने के निर्देश जारी किए हैं। उन्होंने कहा है कि जिन लोगों के पास राशन कार्ड नहीं हैं, लेकिन वे ‘ई-श्रम’ पोर्टल के तहत रजिस्टर्ड हैं, उन्हें भी मुफ्त राशन दिया जाना चाहिए।
प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन: जस्टिस सूर्यकांत ने उठाया बड़ा सवाल!
जस्टिस सूर्यकांत ने प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन देने के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बात कही है। उन्होंने कहा है कि जब हम राज्यों को सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन देने का निर्देश देंगे, तो यहां एक भी मजदूर नहीं दिखेगा, क्योंकि वे भाग जाएंगे। जस्टिस सूर्यकांत का मानना है कि राज्य लोगों को खुश करने के लिए राशन कार्ड जारी कर सकते हैं, लेकिन वे अच्छी तरह जानते हैं कि मुफ्त राशन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी केंद्र की है। उन्होंने कहा है कि हमें केंद्र और राज्यों के बीच विभाजन नहीं करना चाहिए, अन्यथा यह बहुत मुश्किल होगा।
प्रवासी मजदूरों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में तीखी नोकझोंक!
सुप्रीम कोर्ट में प्रवासी मजदूरों के मामले में एक महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। तुषार मेहता ने कहा कि अदालत के आदेश कोविड-विशिष्ट थे और उस समय प्रवासी श्रमिकों के सामने आने वाले संकट को देखते हुए राहत मुहैया करने के लिए आदेश पारित किए गए थे। मेहता ने यह भी कहा कि सरकार 2013 के अधिनियम से बंधी हुई है और वैधानिक योजना से आगे नहीं जा सकती। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कुछ एनजीओ ने महामारी के दौरान जमीनी स्तर पर काम नहीं किया और याचिकाकर्ता एनजीओ उनमें से एक है। सुनवाई के दौरान मेहता और भूषण के बीच तीखी नोकझोंक हुई। जस्टिस सूर्यकांत ने मेहता और भूषण दोनों को शांत करने की कोशिश की और कहा कि प्रवासी मजदूरों के मामले में विस्तृत सुनवाई की जरूरत है और इसे 8 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया।
बता दें कि जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की बेंच उस समय हैरान रह गई जब केंद्र ने अदालत को बताया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त या रियायती राशन दिया जा रहा है।