वाराणसी, 14 मई 2025, बुधवार। वाराणसी में आंगनबाड़ी कार्यकत्री की नौकरी पाने के लिए फर्जीवाड़े का सनसनीखेज मामला सामने आया है। तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से पांच महिलाओं ने फर्जी प्रमाणपत्रों के दम पर नौकरी हासिल कर ली थी, लेकिन शिकायत और जांच के बाद उनका खेल खत्म हो गया। इनकी नियुक्ति रद्द कर दी गई है, और दो लेखपालों पर भी कड़ी कार्रवाई हुई है। यह मामला तब और चर्चा में आया जब पता चला कि खुद डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इन नवनियुक्त कार्यकत्रियों को प्रमाणपत्र बांटे थे।
क्या है पूरा मामला?
वाराणसी में आंगनबाड़ी कार्यकत्री के 199 रिक्त पदों के लिए आवेदन मांगे गए थे। कुल 10,689 महिलाओं ने आवेदन किया, और 194 को नौकरी मिली। 26 मार्च को डिप्टी सीएम ने एक भव्य समारोह में इन कार्यकत्रियों को नियुक्ति पत्र सौंपे। चयन में बीपीएल कार्डधारकों को प्राथमिकता दी गई थी, जिसमें शहरी क्षेत्र के लिए वार्षिक आय 56 हजार और ग्रामीण क्षेत्र के लिए 46 हजार रुपये का मानक तय था।
लेकिन नियुक्तियों के बाद शिकायतों का दौर शुरू हुआ। नौ महिलाओं के खिलाफ फर्जी आय और निवास प्रमाणपत्र के आरोप लगे। सदर तहसील से सात और पिंडरा तहसील से दो शिकायतें आईं। जिला प्रशासन ने तुरंत जांच कमेटी बनाई और सभी की जॉइनिंग रोक दी।
जांच में बड़ा खुलासा
जांच में पांच महिलाओं के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए। इनमें तीन सदर तहसील और दो पिंडरा तहसील से थीं। फर्जीवाड़े की कहानी कुछ यूं है:
- नीतू विश्वकर्मा (अलईपुर, नक्खी घाट): फर्जी निवास प्रमाणपत्र के जरिए नौकरी पाई।
- श्वेता सिंह (कमौली, चिरईगांव): फर्जी आय प्रमाणपत्र का इस्तेमाल।
- सुमन चौबे (उदयपुर, हरहुआ): निवास प्रमाणपत्र फर्जी।
- स्नेहा वर्मा (नथईपुर, बड़ागांव): फर्जी आय प्रमाणपत्र।
- सीमा सिंह (मझगवांकला, बड़ागांव): आय प्रमाणपत्र फर्जी।
इन सभी की नियुक्ति रद्द कर दी गई है। डीएम सत्येंद्र कुमार जल्द ही सेवा समाप्ति की फाइल पर हस्ताक्षर करेंगे।
लेखपालों पर गिरी गाज
फर्जी प्रमाणपत्र जारी करने में तहसील के दो लेखपालों की संलिप्तता सामने आई। लेखपाल पंकज गौतम को तत्काल निलंबित कर दिया गया, जबकि पहले से निलंबित शिवप्रताप को आरोपपत्र थमाया गया। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की मिसाल है।
आगे क्या?
जिला कार्यक्रम अधिकारी डीके सिंह के मुताबिक, वाराणसी में 3,914 आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें 3,869 कार्यकत्रियां कार्यरत हैं। रिक्त हुए पांच पदों के लिए जल्द नई भर्ती प्रक्रिया शुरू होगी। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि भविष्य में ऐसी गड़बड़ियों को बख्शा नहीं जाएगा।
एक सबक
यह मामला न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है, बल्कि फर्जीवाड़े के जरिए नौकरी पाने की कोशिश करने वालों के लिए भी चेतावनी है। वाराणसी प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने भरोसा जगाया है कि सच्चाई की जीत होगी, और भ्रष्टाचार का कोई स्थान नहीं।