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Sunday, June 29, 2025

भारत-चीन के बीच 1971 के युद्ध में लड़ने वाला पूर्व जवान आज ऑटो चलाने पर मजबूर

भारत-चीन के बीच 1971 के युद्ध में अपनी साहस का परिचय देने वाला सेना का पूर्व जवान आज अपना और परिवार का गुजारा करने के लिए ऑटो चलाने पर मजबूर है। भारतीय सेना के पूर्व जवान शेख अब्दुल करीम, जो 1971 के भारत-चीन युद्ध के दौरान एक स्टार पदक विजेता थे, अब हैदराबाद में अपनी आजीविका के लिए ऑटो चलाते हैं और उन्होंने राज्य सरकार से मदद की अपील की है। शेख अब्दुल करीम स्टार मेडल प्राप्तकर्ता हैं, जो 1971 के भारत-चीन युद्ध में उनके योगदान के लिए एक विशेष पुरस्कार है।

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में करीम ने बताया, ‘मैं अपने पिता की मृत्यु के बाद भारतीय सेना में भर्ती हुआ था, जिन्होंने ब्रिटिश सेना के लिए और फिर भारतीय सेना के लिए काम किया। 1964 में मैंने भारतीय सेना को ज्वाइन किया। मैंने 1971 के भारत-चीन युद्ध में भाग लिया था और लाहौल क्षेत्र में तैनात था। मुझे स्टार मेडल से सम्मानित किया गया था और इतना ही नहीं, मैं 1971 में विशेष पुरस्कार प्राप्तकर्ता था।

करीम आगे कहते हैं, ‘इंदिरा गांधी के शासनकाल में जब अतिरिक्त (सरप्लस) सेना के जवान थे, उनमें से कई को पोस्टिंग से हटा दिया गया था और मैं भी उनमें से एक था। सेना में रहते हुए मैंने सरकारी जमीन के लिए आवेदन किया था और मुझे गोलापल्ली गांव में पांच एकड़ जमीन दी गई थी जो कि अब  तेलंगाना में पड़ता है।’

उन्होंने आगे कहा, करीब 20 साल बाद मुझे जो पांच एकड़ जमीन दी गई थी, वह सात गांव के लोगों के बीच बांट दी गई और उसके बारे में शिकायत करने के बाद मुझे उसी सर्वेक्षण संख्या के तहत दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन की पेशकश की गई थी, मगर मूल भूमि देने से इनकार कर दिया गया था। अब लगभग एक साल हो गया है और अब तक जमीन के विवरण का दस्तावेज तैयार नहीं हुआ है। ‘

उन्होंने कहा कि सेना से निकाले जाने के बाद उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनके पास घर भी नहीं है और वर्तमान में (71 वर्ष की आयु में ) अपने परिवार को खिलाने के लिए ऑटो-रिक्शा चला रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैंने नौ साल तक एक सेना के जवान के रूप में इस देश को अपनी सेवाएं दीं, मगर बाद में हटा दिया गया और अब 71 साल की उम्र में एक ऑटो-रिक्शा चला रहा हूं। मेरे लिए परिवार को खाना खिलाना मुश्किल हो गया है। मेरे पास अपना खुद का मकान भी नहीं है ताकि मैं अपने परिवार की देखभाल कर सकूं।

उन्होंने सरकार से अपील की है कि गरीबों को दिए जाने वाले डबल बेडरूम फ्लैटों को बेघर हुए पूर्व सैनिकों भी प्रदान किया जाए। उन्होंने कहा, ‘एक गुड सर्विस मेडल जीतने के बावजूद मुझे सरकार से किसी भी प्रकार की पेंशन या कोई वित्तीय सहायता नहीं मिली है। मैं केंद्र सरकार से आर्थिक रूप से पूर्व सैनिकों की सहायता करने का भी अनुरोध करता हूं, जिन्हें मदद की जरूरत है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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