सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से कहा कि भ्रष्टाचार के मामले में जांच शुरू करने से पहले सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेने की उनकी मांग भ्रष्टाचार निरोध कानून के उद्देश्य को ही परास्त कर देगी। कानून की धारा 17 ए को जुलाई 2018 में जोड़ा गया था और इसमें किसी लोकसेवक के खिलाफ जांच से पहले पुलिस अधिकारी को सक्षम प्राधिकारी से अनुमति लेना अनिवार्य किया था। नायडू ने अपने खिलाफ दक्षता विकास परिषद घोटाला मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करने के आंध्र हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने तेलुगू देशम पार्टी नेता की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे और वकील सिद्धार्थ लूथरा से कहा, 17 ए की व्याख्या करते समय हमें देखना होगा कि भ्रष्टाचार से लड़ने की कानून की मंशा को नुकसान न पहुंचे। नायडू ने अपने इन वकीलों के जरिये कोर्ट के सामने कहा कि धारा 17 ए को संसद ने इस लिए कानून में जोड़ा था ताकि लोकसेवकों को परेशान किए जाने पर रोक लगाई जा सके जो कि अपने कर्तव्यों के निर्वहन के दौरान कई तरह के फैसले लेते हैं।
यह है मामला
आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू को 371 करोड़ रुपये के कौशल विकास घोटाले में गिरफ्तार किया गया है। राज्य के अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने उन्हें नौ सितंबर को सुबह करीब छह बजे ज्ञानपुरम में बस में सोते वक्त गिरफ्तार किया था। सीआईडी का दावा है कि नायडू के ही नेतृत्व में मुखौटा कंपनियों के जरिये सरकारी धन को निजी संस्थाओं में हस्तांतरित करने की साजिश रची गई।
नायडू ने शुक्रवार को नंदयाल जिले के बनगनपल्ली में जनसभा की थी। इसके बाद बस में आराम कर रहे थे। शनिवार तड़के करीब 3:30 बजे सीआईडी उन्हें गिरफ्तार करने पहुंची, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने वाहन को घेर लिया। इससे सीआईडी को गिरफ्तार करने में कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। हाल ही में अनंतपुर जिले के रायदुर्गम में एक सभा में नायडू ने कहा था कि जल्द ही उन पर हमला हो सकता है या फिर गिरफ्तार किया जा सकता है। सीआईडी की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) के पुलिस उपाधीक्षक एम धनंजयुडु ने बताया कि गिरफ्तारी गैर जमानती धाराओं में की गई है। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने वर्ष 2018 में इस घोटाले की शिकायत की थी। मौजूदा सरकार की जांच से पहले जीएसटी इंटेलिजेंस विंग और आयकर विभाग भी घोटाले की जांच कर रहे थे।