पाकिस्तान अगले दो दिन तक मेहमानवाज़ी के मोड में नज़र आएगा। पाकिस्तान में 15-16 अक्तूबर को शंघाई सहयोग संगठन (SCO)शिखर सम्मेलन का आयोजन है । एससीओ की स्थापना 26 अप्रैल, 1996 को शंघाई फ़ाइव के नाम से हुई थी जिसमें चीन, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, रूस, और ताजिकिस्तान जैसे देश शामिल थे। सितंबर 2022 में, उज़्बेकिस्तान की अध्यक्षता में हुए शिखर सम्मेलन में ईरान को भी एससीओ का सदस्य बनाया गया था एयर अब बेलारूस भी एससीओ में शामिल है। इस तरह से फ़िलहाल शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में 10 सदस्य देश हैं – चीन, भारत, कज़ाकिस्तान, किर्गिज़स्तान, पाकिस्तान, रूस, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, ईरान और बेलारूस। इसके अलावा, एससीओ में दो पर्यवेक्षक, 14 संवाद साझेदार, और चार अतिथि उपस्थिति प्रविष्टियां हैं । एससीओ दुनिया के सबसे बड़े क्षेत्रीय संगठनों में से एक माना जाता है।
साल 2024 के SCO में पाकिस्तान ने मेजबान होने के नाते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एससीओ में शामिल होने के लिए न्योता भेजा था। प्रधानमंत्री के प्रतिनिधि के तौर पर विदेश मंत्री एस जयशंकर इस बैठक में शामिल हो हुए हैं। हालांकि अभी भी भारत और पाकिस्तान के संबंध बेहद ख़राब है और पिछले 9 साल से दोनों देशों के बीच कोई बात -चीत नहीं है । शंघाई समिट के दौरान भी भारत और पाकिस्तान के बीच कोई द्विपक्षीय बातचीत नहीं होगी। पाकिस्तान रवाना होने से पहले विदेश मंत्री जयशंकर ने साफ़ कहा है कि वह एससीओ की बैठक में शामिल होंगे। पाकिस्तान और भारत के रिश्तों पर चर्चा नहीं करेंगे।
इस बीच भारत के साथ रिश्ते को लेकर पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अपनी राय रखी है । उन्होंने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी SCO शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान आते तो ये पाकिस्तान के लिहाज़ से jyada अच्छा होता ।
नवाज शरीफ ने कहा कि मैं शुरू से भारत के साथ अच्छे संबंधों का समर्थन करता रहा हूं । मुझे उम्मीद है कि हमारे बीच रिश्ते फिर से सुधरेंगे और आने वाले समय में पीएम मोदी के साथ बैठकर बातचीत करने का मौका पाकिस्तान को मिलेगा ।
नवाज शरीफ ने पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति पर भी दल चिंता जताई है । उन्होंने कहा कि उनका देश पाकिस्तान सारी दुनिया से पैसे मांग रहा है, जबकि भारत चांद पर जा रहा है । भारत के पास 600 अरब डॉलर का खजाना है और भारत जी20 शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रहा है, जबकि हम 1-1 अरब डॉलर के लिए चीन समेत अरब देशों के सामने भीख मांग रहे हैं । ऐसे में दुनिया के सामने भला पाकिस्तान की क्या इज्जत रह जाती है.। हालांकि, ये पहली बार नहीं है, जब नवाज शरीफ ने भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों पर अपने विचार रखे हैं । पूर्व में भी कई बार रिश्ते सुधारने पर जोर दिया है ।
अपने एक इंटरव्यू में नवाज शरीफ ने भारत से वादा तोड़ने को अपनी सबसे बड़ी गलती बताई है । उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में जो कुछ भी हुआ उसमें हमारी गलती थी। हमने लाहौर समझौते का उल्लंघन किया है । इसके लिए पाकिस्तान कसूरवार हैं ।
बता दें कि 2023 में भी नवाज शरीफ ने पाकिस्तान के पड़ोसी देशों, विशेष रूप से भारत के साथ पाकिस्तान के संबंधों को सामान्य बनाने की मंशा व्यक्त की थी । उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को भारत, अफगानिस्तान और ईरान के साथ अपने संबंधों में सुधार करना ही होगा।
पीएम मोदी को याद करते हुए नवाज़ शरीफ ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान, दो भारतीय प्रधानमंत्रियों – 1999 में अटल बिहारी वाजपेयी और 2015 में नरेंद्र मोदी – ने पाकिस्तान का दौरा किया था। “मोदी साहब और वाजपेयी साहब यहां मेरे निमंत्रण पर)आए थे। क्या उनसे पहले कोई यहां आया था?” उन्होंने पूछा।
उल्लेखनीय है कि जब मोदी को तीसरी बार फिर से सत्ता में चुना गया, तो नवाज और उनके भाई प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारतीय प्रधानमंत्री को बधाई दी थी । नवाज ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा था, “हाल के चुनावों में आपकी पार्टी की सफलता आपके नेतृत्व में लोगों के विश्वास को दर्शाती है।”
उन्होंने आगे लिखा था , “आइए हम नफरत को उम्मीद से बदलें और दक्षिण एशिया के दो अरब लोगों की नियति को आकार देने के अवसर का लाभ उठाते है । इस पोस्ट के कुछ घंटों बाद, पीएम मोदी ने भी दोनों को जवाब दिया और पीएम शहबाज को उनकी “शुभकामनाओं” के लिए धन्यवाद कहा था । नवाज से उन्होंने कहा: नवाज शरीफ, आपके संदेश की सराहना करता हूं। भारत के लोग हमेशा शांति, सुरक्षा और प्रगतिशील विचारों के पक्षधर रहे हैं और हमारे लोगों की भलाई और सुरक्षा को आगे बढ़ाना ही हमेशा हमारी प्राथमिकता रहेगी।”
ग़ौरतलब है कि भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्तों में बीते काफी समय से गर्माहट नहीं है। 2015 में नरेंद्र मोदी पाकिस्तान गए थे और तब के पाक प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ की बेटी की शादी में भी शामिल हुए था । दोनों के बीच माँ को लेकर शॉल और साड़ी के रिश्ते भी क़ायम हुए थे । इसके बाद कोई बड़ा भारतीय नेता पाकिस्तान नहीं गया है। विदेश मंत्री जयशंकर करीब एक दशक बाद पाकिस्तान पहुँचे हैं। हालाँकि जानकार इसे एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं।
भारत और पाकिस्तान में तनातनी 2019 में काफी बढ़ गई थी, जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म करते हुए राज्य को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया था। बीते साल गोवा में हुई एससीओ समिट में पाकिस्तान के तत्कालीन विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो भारत आकर एक पहल की थी। इसके बाद अब जयशंकर पाकिस्तान पहुंचे हैं।