नई दिल्ली, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार। भारत की जांच एजेंसियां उन भगोड़ों के पीछे पड़ी हैं, जिन्होंने हज़ारों करोड़ के घोटालों से देश को हिलाकर रख दिया और फिर विदेशों में जा छिपे। ये हैं वो पांच कारोबारी, जिनके प्रत्यर्पण की राह में कानूनी जंग जारी है। इनकी कहानियां न सिर्फ़ धन के दुरुपयोग की हैं, बल्कि सत्ता, शोहरत और साज़िश की भी।
मेहुल चोकसी: हीरे की चमक में छिपा धोखा
कभी भारत के हीरा कारोबार का चमकता सितारा, मेहुल चोकसी आज बेल्जियम की हिरासत में है। 2018 में पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) में सामने आए 13,000 करोड़ रुपये के घोटाले ने चोकसी की साख को तार-तार कर दिया। आरोप है कि चोकसी ने बैंक अधिकारियों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेजों से लोन हासिल किए और देश छोड़कर भाग गए। उनकी गिरफ्तारी भारत के लिए एक कदम आगे है, लेकिन क्या वह वापस लौटेंगे?
नीरव मोदी: चमकते हीरों का काला सच
चोकसी का भांजा और पीएनबी घोटाले का दूसरा बड़ा चेहरा, नीरव मोदी, लंदन की जेल में है। 2019 में एक बैंक खाता खोलने की कोशिश में वह पकड़ा गया। नीरव ने अपनी कंपनी ‘फायरस्टार डायमंड’ के जरिए वैश्विक बाजार में नाम कमाया, लेकिन पीएनबी घोटाले ने उसे अपराधी बना दिया। लंदन की अदालत में उसका प्रत्यर्पण मामला चल रहा है, और भारत उसकी वापसी की आस लगाए बैठा है।
विजय माल्या: किंगफिशर का डूबता बादशाह
शराब और विमानन कारोबारी विजय माल्या की कहानी किसी बॉलीवुड फिल्म से कम नहीं। किंगफिशर एयरलाइंस के लिए बैंकों से लिए 9,000 करोड़ रुपये के कर्ज को चुकाए बिना वह 2016 में लंदन भाग गए। उनकी एयरलाइन डूब चुकी है, लेकिन माल्या की शाही जिंदगी पर कोई असर नहीं। भारत-ब्रिटेन प्रत्यर्पण संधि के तहत उनकी वापसी की कोशिशें जारी हैं, लेकिन यह जंग आसान नहीं।
ललित मोदी: क्रिकेट के मैदान से विदेश की शरण
आईपीएल के जनक ललित मोदी ने क्रिकेट को बिजनेस का नया चेहरा दिया, लेकिन 2010 में उन पर नीलामी में हेराफेरी और गैरकानूनी डील्स के आरोप लगे। इसके बाद वह लंदन भाग गए। बीसीसीआई ने उन पर आजीवन प्रतिबंध लगा दिया, लेकिन ललित ने हर आरोप को नकारा। भारत ने कई बार उनके प्रत्यर्पण की कोशिश की, मगर वह अब भी ब्रिटेन की शरण में हैं।
नितिन संदेसरा: नाइजीरिया की नागरिकता, भारत का पीछा
गुजरात के कारोबारी नितिन संदेसरा और उनका परिवार 5,700 करोड़ रुपये के बैंक फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग केस में भगोड़ा घोषित है। स्टर्लिंग बायोटेक के मालिक संदेसरा 2017 में दुबई के रास्ते नाइजीरिया भागे और वहां की नागरिकता ले ली। नाइजीरिया और अल्बानिया की दोहरी नागरिकता के सहारे वह भारत की पहुंच से दूर हैं, लेकिन जांच एजेंसियां उन्हें पकड़ने की जुगत में हैं।
क्या होगा इनका भविष्य?
ये पांचों कारोबारी न सिर्फ़ भारतीय बैंकों और अर्थव्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और कानून की जटिलताओं का प्रतीक भी। इनके प्रत्यर्पण की राह में कानूनी अड़चनें और समय की देरी है, लेकिन भारत की नज़रें इन पर टिकी हैं। क्या ये कभी भारतीय अदालतों में जवाबदेही का सामना करेंगे, या विदेशों में ही अपनी कहानी खत्म करेंगे? यह समय बताएगा।