प्रयागराज, 12 फरवरी 2025, बुधवार। प्रयागराज में पूरे 12 वर्षों के बाद महाकुंभ लगा है। कुंभ मेला में देश-विदेश से लाखों-करोड़ों की संख्या में श्रद्धालु स्नान करने के लिए आ रहे हैं। कुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपराओं का अद्वितीय पर्व है, जिसका इतिहास हजारों साल पुराना है। दूसरी ओर, किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पवित्रा जी ने महाकुंभ में आधी अधूरी तैयारी करने का आरोप प्रदेश सरकार पर लगाया है। प्रयागराज के संगम क्षेत्र में मौनी अमावस्या पर भगदड़ मच गई, जिसकी वजह से कई लोग घायल हो गए, कईयों की मौत हो गई। इस पर किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पवित्रा जी ने नाराजगी जाहिर की।
न्यू अड्डा इंडिया की एडिटर इन चीफ अनिता चौधरी से बातचीत के दौरान पवित्रा जी ने राज्य सरकार की तैयारियों पर सवाल खड़े किए, इसके अलावा वीआईपी कल्चर पर सवाल खड़े किए। किन्नर महामंडलेश्वर ने कहा कि तीर्थयात्रियों के लिए बेहतर व्यवस्था की जानी चाहिए। उन्होंने कहा, खराब प्रबंधन और आम तीर्थयात्रियों की तुलना में वीआईपी मूवमेंट को प्राथमिकता देना इस दुखद घटना के लिए जिम्मेदार है। अनिता चौधरी से बातचीत के दौरान किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पवित्रा जी ने कहा कि मौनी अमावस्या पर जो दुर्व्यवस्था हुई, उससे लोग अभी तक सहमे हुए हैं। बीते बसंत पंचमी स्नान पर देखा गया कि मेला स्थान पूरा खाली रहा। पवित्रा जी ने प्रशासन के खिलाफ नाराजगी जताई, और कहा कि देश-प्रदेश, गांव एवं दूर-दराज से आने वाले गरीब श्रद्धालुओं के खिलाफ प्रशासन द्वारा सख्ती बरती जा रही है। उन्हें अनावश्यक परेशान किया जा रहा है।
किन्नर महामंडलेश्वर ने कहा कि हजारों करोड़ रुपये खर्च करने के बावजूद ऐसी तैयारियां निंदनीय हैं। कुंभ फ्लॉप है, योगी आदित्यनाथ ने जितना बखान किया था कि भव्य दिव्य कुंभ है, 45 करोड़ से ज्यादा लोग आ रहे हैं, लेकिन ये सब बातें हवा हवाई निकली। योगी आदित्यनाथ सरकार के सारे इंतजाम सिर्फ वीवीआईपी और राजनैतिक दलों के नेताओ के लिए था, लाखों करोड़ों हिन्दू आस्थावानों के लिए कोई इंतजाम नहीं किए गए थे, वे बेचारे दर-दर भटक रहे थे।
सनातन के प्रचार प्रसार में किन्नर अखाड़े की भूमिका के सवाल पर उन्होंने कहा कि एक समय था जब हम किन्नरों को लोग घर के दरवाजे के बाहर ही रखते थे, लेकिन आज समय बदल चुका है। आज के दौर हम परिवार के सदस्य के रूप में सबसे घुल मिल गए हैं। सनातनी आस्थावान आज घण्टों हमारे आश्रम में दर्शन के लिए इंतजार करते है, और हमारे हाथों दिए गए सिक्के को प्रसाद स्वरूप अपने घर ले जाते हैं। ये आस्था के साथ पूर्ण विश्वास है कि उनके घर में हमारे दिए सिक्कों के कारण धन धान्य की कमी नहीं होती है।