वाराणसी, 14 जुलाई 2025: सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, और भगवान शिव की भक्ति में डूबी काशी आज फिर से शिवमय हो उठी है। सावन का पहला सोमवार, जो भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, आज काशी विश्वनाथ धाम में आस्था का अनुपम संगम देखने को मिला। बाबा के दर्शन और जलाभिषेक के लिए सुबह से ही लाखों श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा। काशी की गलियों में ‘बोल बम’ के जयकारों की गूंज और भक्ति की लहर ने हर किसी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सावन का पहला सोमवार: काशी में शिव भक्ति का अद्भुत नजारा
सावन का पवित्र महीना शुरू हो चुका है, और यह पूरा महीना भगवान शिव की भक्ति में समर्पित है। आज, सावन का पहला सोमवार, काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। सुबह 4 बजे मंगला आरती के साथ मंदिर के कपाट खुले, और तब से अब तक 2 लाख से अधिक श्रद्धालु बाबा के दर्शन कर चुके हैं। मंदिर प्रशासन का अनुमान है कि रात तक यह संख्या 8 लाख को पार कर जाएगी, जैसा कि 2022 और 2023 में देखा गया था।
जलाभिषेक और कांवड़ियों का उत्साह
काशी में 3 किलोमीटर लंबी कांवड़ियों की कतार देखने को मिली, जो गंगा के पवित्र जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करने पहुंचे। हर भक्त को गर्भगृह में जल चढ़ाने के लिए मात्र 1 सेकंड का समय मिल रहा है, फिर भी उनकी आस्था अडिग है। 50 हजार यादव बंधुओं ने केदारघाट से जल भरकर बाबा का जलाभिषेक किया, हालांकि गर्भगृह में केवल 5 को ही प्रवेश मिल सका। वाराणसी के डीएम सत्येंद्र कुमार और पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने भक्तों पर फूल बरसाकर उनका स्वागत किया।
कांवड़ यात्रा की सुरक्षा में कोई कमी नहीं
कांवड़ यात्रा को सुरक्षित बनाने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस ने व्यापक इंतजाम किए हैं। ATS, RAF, और QRT जैसे विशेष बलों की तैनाती के साथ 29,454 CCTV कैमरे और 395 हाइटेक ड्रोन पूरे रूट की निगरानी कर रहे हैं। DGP मुख्यालय से रियल-टाइम वीडियो फीड के जरिए हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। बारिश, धूप, और गर्मी से बचाव के लिए जर्मन हैंगर और अतिरिक्त शेड लगाए गए हैं। भक्तों के लिए ग्लूकोज और ORS का वितरण भी समय-समय पर किया जा रहा है।
सावन के सोमवारों में बाबा के विशेष स्वरूप दर्शन
सावन के हर सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भक्तों को बाबा के विविध स्वरूपों के दर्शन का सौभाग्य मिलता है। रात 8 से 10 बजे तक, सप्तर्षि आरती के बाद शयन आरती तक, भक्त इन स्वरूपों का दर्शन कर सकते हैं। इस बार 14 जुलाई को बाबा शिव स्वरूप में, 21 जुलाई को शंकर-पार्वती की रजत प्रतिमा, 28 जुलाई को अर्द्धनारीश्वर स्वरूप, और 4 अगस्त को रुद्राक्ष शृंगार में दर्शन देंगे। यह परंपरा 247 वर्षों से चली आ रही है, जब रानी अहिल्याबाई ने मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था।
काशी के अन्य शिवालयों में भी भक्ति की लहर
काशी विश्वनाथ मंदिर के अलावा, महामृत्युंजय, ओंकारेश्वर, केदारनाथ, तिलभांडेश्वर, और मार्कण्डेय महादेव जैसे अन्य शिव मंदिरों में भी भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। हर गली, हर मंदिर ‘हर हर महादेव’ के उद्घोष से गूंज रहा है। काशी विश्वनाथ न्यास के CEO विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए जिग-जैग बैरिकेडिंग और छह प्रवेश द्वार बनाए गए हैं।
सावन का आध्यात्मिक महत्व
सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति का प्रतीक है। इस दौरान कांवड़ यात्रा और जलाभिषेक की परंपरा भक्तों को शिव के और करीब लाती है। अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में शिव-पार्वती का समन्वय, रुद्राक्ष शृंगार में शिव की आध्यात्मिकता, और शंकर-पार्वती की युगल प्रतिमा में दाम्पत्य का आदर्श संदेश छिपा है। काशी, जो आज पूरी तरह शिवमय हो चुकी है, भक्तों को आध्यात्मिक शांति और भक्ति का अनुपम अनुभव दे रही है।
सावन का पहला सोमवार काशी में भक्ति और उत्साह का अनोखा संगम लेकर आया। लाखों श्रद्धालु बाबा विश्वनाथ के चरणों में अपनी आस्था अर्पित करने पहुंचे। काशी की गलियों में ‘बोल बम’ की गूंज और भक्तों का जोश इस पवित्र महीने की महिमा को और बढ़ा रहा है। यह महीना हर शिव भक्त के लिए एक अनमोल अवसर है, जब वे अपने आराध्य के और करीब आ सकते हैं।