फिरोजाबाद, 5 जुलाई 2025: समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पर आपत्तिजनक टिप्पणी और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल करने के मामले में फिरोजाबाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए छह सिपाहियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई सपा नेताओं की शिकायत के 24 घंटे के भीतर की गई, जिसे पुलिस प्रशासन की तत्परता के रूप में देखा जा रहा है।
मामले की शुरुआत तब हुई जब शिकोहाबाद थाने में तैनात सिपाही प्रदीप ठाकुर, जो पहले एसपी ग्रामीण के हमराह रह चुके थे, ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर अखिलेश यादव के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी के साथ एक फोटो पोस्ट की। इस पोस्ट को जिले के पांच अन्य सिपाहियों—मुख्य आरक्षी कुलदीप, आरक्षी राहुल, आरक्षी अमित, आरक्षी अरुण और आरक्षी सौरभ—ने अपने व्हाट्सएप और फेसबुक अकाउंट्स पर वायरल किया। यह टिप्पणी कथित तौर पर यादव बनाम ब्राह्मण विवाद से जुड़ी थी, जिसने सामाजिक सौहार्द को प्रभावित करने की आशंका पैदा की।
इस घटना से समाजवादी पार्टी में भारी रोष फैल गया। सपा जिलाध्यक्ष शिवराज सिंह यादव ने गुरुवार को अपने समर्थकों के साथ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) सौरभ दीक्षित से मुलाकात की और इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की। सपा नेताओं ने इसे न केवल अखिलेश यादव का अपमान बताया, बल्कि सामाजिक तनाव को बढ़ाने की कोशिश करार दिया।
एसएसपी सौरभ दीक्षित ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मामले की जांच सिटी ऑफिसर (सीओ) सदर चंचल त्यागी को सौंपी। सीओ सदर ने शुक्रवार दोपहर अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी, जिसमें सिपाही प्रदीप ठाकुर और अन्य पांच सिपाहियों को दोषी पाया गया। जांच में सामने आया कि इन सिपाहियों ने न केवल आपत्तिजनक टिप्पणी को वायरल किया, बल्कि इसे और बढ़ावा देने में भी भूमिका निभाई।
रिपोर्ट के आधार पर एसएसपी ने तत्काल प्रभाव से छह सिपाहियों—प्रदीप ठाकुर, मुख्य आरक्षी कुलदीप, आरक्षी राहुल, आरक्षी अमित, आरक्षी अरुण और आरक्षी सौरभ—को निलंबित कर दिया। ये सिपाही थाना नारखी, थाना शिकोहाबाद और पुलिस कार्यालय में तैनात थे, और कुछ इस समय अयोध्या में ड्यूटी पर थे। एसएसपी ने यह भी बताया कि कुछ अन्य सिपाहियों की भूमिका की जांच जारी है, और उनके खिलाफ भी जल्द कार्रवाई की जाएगी।
सपा जिलाध्यक्ष शिवराज सिंह यादव ने पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना की, लेकिन चेतावनी दी कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “पुलिस को निष्पक्ष और अनुशासित रहना चाहिए। यह घटना समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों के लिए अपमानजनक है। हम इसे गंभीरता से ले रहे हैं।”
दूसरी ओर, पुलिस प्रशासन ने स्पष्ट किया कि यह मामला अनुशासनहीनता का है और इसका किसी सामुदायिक या राजनीतिक विवाद से कोई संबंध नहीं है। एसएसपी सौरभ दीक्षित ने कहा, “पुलिस कर्मियों से उच्च स्तर की नैतिकता और अनुशासन की अपेक्षा की जाती है। दोषी सिपाहियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, और भविष्य में ऐसी हरकतों पर सख्ती बरती जाएगी।”
सोशल मीडिया पर इस मामले ने व्यापक चर्चा बटोरी। कुछ एक्स पोस्ट्स में इसे यादव बनाम ब्राह्मण विवाद से जोड़ा गया, लेकिन पुलिस ने इसे केवल अनुशासनहीनता का मामला माना। समाजवादी पार्टी ने इस घटना को भाजपा सरकार की नाकामी से जोड़ा और दावा किया कि पुलिस में कुछ लोग पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहे हैं।