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Saturday, August 2, 2025

महाकुंभ के विश्वकर्मा के गोदाम में आग का तांडव: चार घंटे तक हाहाकार, सेना ने संभाला मोर्चा

प्रयागराज, 19 अप्रैल 2025, शनिवार: संगम नगरी में महाकुंभ की टेंट नगरी बसाने वाले लल्लूजी एंड संस के गोदाम में शनिवार सुबह एक भीषण अग्निकांड ने हड़कंप मचा दिया। शास्त्री ब्रिज के पास काली सड़क पर स्थित इस गोदाम में लगी आग ने कुछ ही मिनटों में विकराल रूप धारण कर लिया, जिससे आसपास के इलाकों में अफरा-तफरी मच गई। चार घंटे तक धधकती लपटों और काले धुएं के गुबार ने न केवल लाखों रुपये की सामग्री को राख में बदल दिया, बल्कि फायर ब्रिगेड और सेना के जवानों को भी कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

आग का तांडव: सिलेंडर विस्फोट से बढ़ा खतरा

प्राप्त जानकारी के अनुसार, सुबह करीब 6:30 बजे गोदाम में मजदूर छोटे गैस सिलेंडर पर खाना बना रहे थे। इसी दौरान सिलेंडर में रिसाव के कारण विस्फोट हुआ, और देखते ही देखते आग ने पूरे गोदाम को अपनी चपेट में ले लिया। गोदाम में रखे करीब 5 लाख बांस-बल्लियां, टेंट के पर्दे, रजाइयां, गद्दे और अन्य ज्वलनशील सामग्री ने आग को और भयावह बना दिया। सिलेंडरों के फटने की गूंज और आग की लपटें 3 किलोमीटर दूर तक दिखाई दीं, जिससे आसपास की झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग दहशत में घर छोड़कर भागने लगे।

फायर ब्रिगेड की जंग, सेना का सहारा

सूचना मिलते ही फायर ब्रिगेड की 18 से अधिक गाड़ियां मौके पर पहुंचीं। दमकलकर्मियों ने गीले कंबलों और पानी की तेज धार से आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन आग की तपिश इतनी भीषण थी कि कई कर्मचारियों के शरीर पर छाले पड़ गए। आग पर काबू न पाते देख प्रशासन ने सेना की मदद मांगी। सेना के जवान और स्थानीय पुलिस ने मिलकर स्थिति को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाई। करीब चार घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद सुबह 10:30 बजे तक आग पर काबू पाया गया, लेकिन तब तक गोदाम में रखा अधिकांश सामान जलकर खाक हो चुका था।

लल्लूजी एंड संस: कुंभ का विश्वकर्मा

लल्लूजी एंड संस कंपनी पिछले 104 वर्षों से प्रयागराज के महाकुंभ में टेंट नगरी बसाने का जिम्मा संभालती आ रही है। इस कंपनी को ‘कुंभ का विश्वकर्मा’ कहा जाता है, क्योंकि यह रेत पर तंबुओं का विशाल शहर खड़ा करने में माहिर है। प्रयागराज के परेड ग्राउंड, झूंसी, रामबाग, और नैनी के अलावा दिल्ली, हरिद्वार, उज्जैन, और अहमदाबाद में भी कंपनी के कार्यालय और गोदाम हैं। महाकुंभ 2025 के लिए देश के छह शहरों से सामान मंगवाया गया था, जिसका बड़ा हिस्सा इस गोदाम में रखा गया था। इस हादसे ने कंपनी को भारी नुकसान पहुंचाया है, हालांकि किसी जनहानि की खबर नहीं है।

हादसे की जांच शुरू, प्रशासन अलर्ट

आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी गई है। प्रारंभिक जानकारी में सिलेंडर रिसाव को मुख्य वजह बताया जा रहा है, लेकिन प्रशासन ने मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं। हादसे के बाद आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी किया गया है। मुख्य अग्निशमन अधिकारी राजीव कुमार पांडे ने बताया कि छह पानी की गाड़ियों ने आग पर काबू पाने में अहम भूमिका निभाई।

महाकुंभ में आग की बार-बार घटनाएं

यह पहला मौका नहीं है जब महाकुंभ क्षेत्र में आग ने कहर बरपाया हो। इससे पहले जनवरी और फरवरी 2025 में सेक्टर 19 और 18 में आगजनी की घटनाएं हो चुकी हैं, जिनमें सिलेंडर विस्फोट और शॉर्ट सर्किट को कारण बताया गया था। इन हादसों में कई टेंट और पंडाल जलकर राख हो गए थे। प्रशासन ने महाकुंभ को ‘फायर-फ्री’ बनाने के लिए 350 से ज्यादा फायर ब्रिगेड, 50 अग्निशमन केंद्र, और उन्नत उपकरण तैनात किए हैं, लेकिन बार-बार हो रही घटनाएं चिंता का विषय बनी हुई हैं।

नुकसान का आकलन और भविष्य की चुनौतियां

इस अग्निकांड से लल्लूजी एंड संस को करोड़ों रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। गोदाम में रखा सामान महाकुंभ के समापन के बाद इकट्ठा किया गया था, जिसे अन्य मेलों के लिए उपयोग में लाया जाना था। इस हादसे ने न केवल कंपनी के कारोबार को झटका दिया है, बल्कि भविष्य में अग्नि सुरक्षा को लेकर सवाल भी खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों और कर्मचारियों ने सामान बचाने की कोशिश की, लेकिन आग की तीव्रता के आगे उनकी कोशिशें नाकाम रहीं।

संगम नगरी में मची सनसनी

यह हादसा महाकुंभ के समापन के बाद हुआ, लेकिन संगम नगरी में इसकी चर्चा जोरों पर है। लल्लूजी की कंपनी न केवल प्रयागराज, बल्कि हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक के कुंभ मेलों में भी अपनी सेवाएं देती है। इस हादसे ने कंपनी की साख और अग्नि सुरक्षा उपायों पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय निवासी राम प्रसाद ने बताया, “आग की लपटें इतनी भयानक थीं कि हमें लगा पूरा इलाका चपेट में आ जाएगा। सेना और फायर ब्रिगेड ने समय रहते स्थिति संभाल ली, वरना बड़ा हादसा हो सकता था।”

सतर्कता की जरूरत

लल्लूजी के गोदाम में लगी आग ने एक बार फिर बड़े आयोजनों में अग्नि सुरक्षा की महत्ता को रेखांकित किया है। महाकुंभ जैसे विशाल मेले, जहां लाखों लोग जुटते हैं, वहां छोटी सी लापरवाही भी बड़े हादसे को न्योता दे सकती है। प्रशासन को चाहिए कि ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए गोदामों और टेंट नगरी में अग्नि सुरक्षा के कड़े इंतजाम सुनिश्चित किए जाएं। लल्लूजी एंड संस जैसी कंपनी, जो कुंभ की शान है, उसे भी अपने स्तर पर सुरक्षा मानकों को और सख्त करना होगा। फिलहाल, इस हादसे ने संगम नगरी को झकझोर कर रख दिया है, और सभी की निगाहें जांच के नतीजों पर टिकी हैं।

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