लखनऊ, 4 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है। सहयोगी दल ‘अपना दल (एस)’ में डॉ. सोनेलाल पटेल की जयंती के मौके पर उभरे विवाद ने सत्ताधारी गठबंधन की नींव को हिलाकर रख दिया है। पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. आशीष पटेल के तीखे बयानों और बागी गुट ‘अपना मोर्चा’ के दावों ने सियासी गलियारों में सनसनी फैला दी है। सवाल यह है कि क्या अपना दल योगी सरकार से दूरी बना रहा है, या यह बीजेपी की अंदरूनी खींचतान का नतीजा है?
आशीष पटेल का हमला: ‘1700 करोड़ की साजिश’
डॉ. आशीष पटेल ने अपने भाषण में बिना नाम लिए योगी सरकार के बड़े चेहरों पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने दावा किया कि ‘अपना दल (एस)’ को खत्म करने के लिए 1700 करोड़ रुपये की ताकत झोंकी जा रही है। आशीष ने कहा, “जब भी अनुप्रिया पटेल सामाजिक न्याय के लिए बड़ा कदम उठाती हैं, उनके खिलाफ साजिशें रची जाती हैं।” उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जमकर तारीफ की, लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर इशारों-इशारों में निशाना साधा। “पीठ में छुरा घोंपने वालों को जवाब मिलेगा, लेकिन हम मर्यादा नहीं तोड़ेंगे,” आशीष का बयान सियासी तौर पर भारी पड़ सकता है।
बागियों का पलटवार: ‘हम हैं असली अपना दल’
दूसरी ओर, ‘अपना मोर्चा’ के संयोजक ब्रजेंद्र प्रताप सिंह ने दावा किया कि वे एनडीए के सच्चे सिपाही हैं और अपना दल (एस) के 9 विधायक उनके संपर्क में हैं। उन्होंने आशीष पटेल पर तानाशाही और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया। बागियों का कहना है कि कुर्मी क्षत्रिय भवन में उनका कार्यक्रम पार्टी नेतृत्व के दबाव में रद्द कराया गया। ब्रजेंद्र ने दावा किया, “दिल्ली से इशारा मिलते ही हमारे विधायक साथ आ जाएंगे।”
योगी पर निशाना, बीजेपी की चुप्पी
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आशीष पटेल के निशाने पर सीधे तौर पर योगी आदित्यनाथ हैं, न कि पूरी बीजेपी। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि बीजेपी की अंदरूनी सियासत में अपना दल का इस्तेमाल योगी की बढ़ती लोकप्रियता को नियंत्रित करने के लिए किया जा रहा है। विश्लेषक अरविंद मिश्र कहते हैं, “अपना दल अगर कमजोर होता है, तो इसका सबसे बड़ा नुकसान बीजेपी को होगा, क्योंकि कुर्मी वोट बैंक पर उसकी पकड़ ढीली पड़ सकती है।”
शासकीय संरक्षण का विवाद
अपना दल (एस) के प्रदेश अध्यक्ष आरपी गौतम ने योगी को पत्र लिखकर बागी नेताओं के करीबियों को शासकीय पदों से हटाने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया कि निष्कासित नेताओं को फिर से मनोनीत कर पार्टी की गरिमा को ठेस पहुंचाई जा रही है।
आगे क्या होगा?
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल संतुलन बनाने की कोशिश करेंगी, जबकि आशीष पटेल आक्रामक रुख बनाए रखेंगे। बीजेपी की ओर से कोई स्पष्ट बयान नहीं आने तक यह जोड़ी बड़ा फैसला लेने से बचेगी। लेकिन सियासी जंग शुरू हो चुकी है। अब देखना है कि यह टकराव गठबंधन को नई दिशा देगा या अपना दल को दो फाड़ कर देगा।
कुर्मी वोट बैंक पर संकट
2022 के विधानसभा चुनाव में 13 सीटें जीतने वाला अपना दल (एस) एनडीए का मजबूत साझेदार रहा है। यदि पार्टी में टूट होती है, तो इसका सीधा असर बीजेपी के कुर्मी वोट बैंक पर पड़ेगा, जो उत्तर प्रदेश की सियासत में निर्णायक भूमिका निभाता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह विवाद न केवल अपना दल की एकता को खतरे में डाल सकता है, बल्कि बीजेपी के लिए भी 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़ा झटका साबित हो सकता है। क्या यह महज पार्टी की अंदरूनी कलह है, या योगी-बीजेपी समीकरण में बड़े उलटफेर की शुरुआत? आने वाले दिन इस सियासी ड्रामे का अगला अध्याय लिखेंगे।