आयोजकों को दी गई आग से बचाव की ट्रेनिंग
अयोध्या, 5 अक्टूबर 2024, शनिवार ।
दुर्गा पूजा के अवसर पर शहर में जगह-जगह बन रहे पूजा पंडालों को ध्यान में रखते हुए अग्निशमन विभाग ने पूरी तैयारी कर ली है। किसी भी अप्रिय घटना से बचने और आग लगने जैसी स्थिति पर काबू पाने के लिए अग्निशमन विभाग ने पूजा आयोजकों को विशेष प्रशिक्षण दिया है। इस प्रशिक्षण का उद्देश्य आयोजकों को आग लगने की स्थिति में आवश्यक कदम उठाने और बचाव के तरीकों से अवगत कराना है।
अग्निशमन विभाग ने दुर्गा पूजा के आयोजनकर्ताओं को आग पर नियंत्रण और उससे बचाव के उपायों की विस्तृत जानकारी दी। इस दौरान मुख्य फायर अधिकारी महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि हर साल दुर्गा पूजा के दौरान शहर के विभिन्न क्षेत्रों में कई बड़े पूजा पंडाल बनाए जाते हैं। इन पंडालों में बिजली के उपयोग और भंडारे के दौरान एलपीजी गैस सिलेंडरों के इस्तेमाल के कारण आग लगने का खतरा बना रहता है। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अग्निशमन विभाग ने आयोजनकर्ताओं को आग से बचाव के विभिन्न उपायों की जानकारी दी और किसी भी आपातकालीन स्थिति में तुरंत कार्रवाई करने के लिए प्रशिक्षित किया।
चीफ फायर अफसर महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि दुर्गा पूजा के पंडालों में अक्सर बिजली की शॉर्ट सर्किट, ओवरलोडिंग, और भंडारे में एलपीजी गैस सिलेंडरों का अनुचित इस्तेमाल आग लगने का प्रमुख कारण बनता है। इसको ध्यान में रखते हुए आयोजनकर्ताओं को यह सिखाया गया है कि अगर ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाए तो किस प्रकार से अग्निशमन यंत्रों का सही तरीके से इस्तेमाल किया जाए और आग पर काबू पाया जाए।
आयोजनकर्ताओं को दिए गए दिशा-निर्देश और सुरक्षा उपाय
- बिजली कनेक्शन और वायरिंग की जाँच: सभी पंडालों में बिजली के कनेक्शन और वायरिंग की जांच पहले ही करवा ली जाए ताकि शॉर्ट सर्किट की संभावना कम हो सके।
- •एलपीजी गैस सिलेंडर का सुरक्षित इस्तेमाल: भंडारे या भोजन बनाने के दौरान एलपीजी गैस सिलेंडरों का सुरक्षित और सीमित उपयोग हो। अगर किसी प्रकार की गैस लीक होने की समस्या दिखे तो तुरंत अग्निशमन विभाग को सूचित किया जाए।
- •अग्निशमन यंत्र की उपलब्धता: हर पंडाल में पर्याप्त मात्रा में फायर एक्सटिंग्विशर, बालू की बाल्टियाँ और पानी की बाल्टियाँ उपलब्ध होनी चाहिए, ताकि आग लगने की स्थिति में त्वरित रूप से प्रतिक्रिया दी जा सके।
- •आपातकालीन निकास मार्ग की व्यवस्था: प्रत्येक पंडाल में कम से कम दो आपातकालीन निकास मार्ग होना आवश्यक है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में पंडाल से बाहर निकलने में कोई कठिनाई न हो।