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Sunday, July 6, 2025

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण आज यानी बुधवार को वित्तीय वर्ष 2023-24 का बजट पेश करेंगी। 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं ऐसे में यह मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट होगा। उम्मीद की जा रही है कि लंबे समय से अपरिवर्तित आयकर स्लैब पर वित्त मंत्री इस बार के बजट में कोई बड़ी घोषणा करेंगी। वित्त मंत्री सीतारमण टैक्स स्लैब में संशोधन कर भारतीय करदाताओं को राहत देंगी इस बात की अटकलें लग रही हैं। बाजार के जानकार मानते हैं कि इस बार के बजट में इक्विटी निवेश पर एलटीसीजी कर और रियल एस्टेट क्षेत्र की मांगों पर भी विचार करते हुए बजट में बड़ी घोषणाएं हो सकती हैं। 

सरकार ने पिछले 9 वर्षों में आयकर स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं किया है। पिछली बार साल 2014 में आयकर छूट की सीमा को बढ़ाया था। यह परिवर्तन नरेंद्र मोदी सरकार के पहले कार्यकाल के पहले बजट में किया गया था। अब साल 2023 में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पेश करने वाली हैं, ऐसे में देश का नौकरीपेशा से लेकर व्यापारी वर्ग सभी वित्त मंत्री से बड़ी घोषणा की उम्मीद कर रही हैं।

बढ़ती महंगाई के कारण बीते कई वर्षों में लोगों का खर्चा कई गुना बढ़ गया है। लिविंग कॉस्ट (Living Cost) में तो बढ़ोतरी हुई है पर सरकार ने आमदनी पर लगने वाले कर में बीते नौ वर्षों में कोई रियायत नहीं दी है। ऐसे में करदाता नए टैक्स सिस्टम के तहत 2.5 लाख की आयकर छूट की सीमा को बढ़ाकर पांच लाख रुपये करने की उम्मीद कर रहे हैं। फिलहाल लोगों को 2.5 से पांच लाख तक की सैलरी पर पांच फीसदी और पांच से 7.5 लाख पर 20 फीसदी टैक्स देना पड़ता है।

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80C के तहत हर साल करदाताओ को अपने निवेश पर 1.5 लाख रुपये की छूट मिलती है। टैक्सपेयर्स इस लिमिट को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। अगर बजट में सरकार इसपर फैसला लेती है, तो टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत मिलेगी। PPF, ELSS, NSC, NPS, बैंक FD जैसे सेविंग स्कम्स पर इसी 80C के तहत करदाताओं को राहत मिलती है। 2014-15 में 80C के तहत छूट की सीमा 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख की गई थीआखिरी बार साल 2014 में सरकार ने टैक्स फ्री इनकम और सेक्शन 80C की लिमिट बढ़ाई थी। पिछली बार वित्त वर्ष 2014-15 में इस सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था। उसके बाद से इसकी सीमा नहीं बदली गई है। उम्मीद है कि 2024 के आम चुनावों के पहले सरकार कार 80C की लिमिट बढ़ाकर करदाताओं को खुश कर सकती है। ICAI ने सरकार को 80C की लिमिट बढ़ाने का दिया है सुझाव इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (ICAI) ने अपने प्री-बजट मेमोरेंडम 2023 में सुझाव दिया है कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80सी के तहत कर कटौती की सीमा बजट 2023 में मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये किया जाना चाहिए। ICAI ने कहा कि धारा 80सी की कटौती सीमा में बढ़ोतरी जनता को बड़े पैमाने पर बचत के अवसर प्रदान करेगी।

आयकर की धारा 16 (ia) के तहत नौकरीपेशा वर्ग को 50,000 रुपये की स्टैंडर्ड डिडक्शन की सुविधा दी जाती है। नौकरीपेशा वर्ग के लोग इसमें बढ़त की उम्मीद कर रहे हैं। जानकार मानते हैं कि सरकार स्टैंडर्ड डिडक्शन सीमा को 50,000 से बढ़ाकर 75,000 रुपये करने का फैसला ले सकती है। फिनफ्लुएंसर और बीमा क्षेत्र के जानकार संत कुमार दास के अनुसार स्टैंडर्ड डिडक्शन पर सरकार बड़ा फैसला ले सकती है। 2023 में इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपये सालाना करने की उम्मीद की जा सकती है। केंद्र सरकार ने आयकर पर मिलने वाले स्टैंडर्ड डिडक्शन में आखिरी बदलाव वर्ष 2019-20 में किया था। 1 फरवरी 2019 के बजट में वित्त मंत्री ने स्टैंडर्ड डिडक्शन के तहत मिलने वाली छूट को 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार करने का फैसला किया था। वर्ष 2020 और 2021 के बजट में इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया। इसके अलावे जानकारों के मुताबिक सरकार पीपीएफ पर भी 2023 के बजट में बड़ा एलान कर सकती है। एलटीसीजी पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण क्या फैसला लेंगी?आर्थिक जानकारों के अनुसार बजट 2023-24 के बजट में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर को और तर्कसंगत बनाया जा सकता है। वर्तमान में एक वर्ष से अधिक समय के लिए रखे गए शेयरों पर 10% टैक्स लगता है। एलटीसीजी कर को वर्ष 2005 में बंद कर दिया गया था, लेकिन 2018 में भाजपा सरकार ने इसे फिर लागू कर दिया। सूत्रों ने कहा, समझा जाता है कि वित्त मंत्रालय एलटीसीजी कर ढांचे को तर्कसंगत बनाकर और मुद्रास्फीति समायोजित पूंजीगत लाभ की गणना के लिए आधार वर्ष को संशोधित करके समान परिसंपत्ति वर्गों के बीच समानता सुनिश्चित करने पर विचार कर रहा है।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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