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Saturday, April 19, 2025

वाराणसी में बेखौफ चोरों का तांडव: कलेक्ट्रेट की दुकान में सेंध, सुरक्षा पर सवाल

वाराणसी, 7 अप्रैल 2025, सोमवार। वाराणसी, जहां गंगा की लहरें और प्राचीन मंदिरों की घंटियां शांति का संदेश देती हैं, वहां रविवार की रात कुछ ऐसा हुआ जिसने शहर की सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी। बेखौफ बदमाशों ने कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित एक दुकान को निशाना बनाया और चोरी की सनसनीखेज वारदात को अंजाम दिया। यह कोई साधारण चोरी नहीं थी, बल्कि उस इलाके में हुई एक ऐसी घटना थी जहां पुलिस कमिश्नर और जिलाधिकारी जैसे बड़े अधिकारियों के कार्यालय मौजूद हैं।

चोरी का शिकार बने स्टांप विक्रेता सलाउद्दीन, जिनकी दुकान से चोरों ने न सिर्फ नगदी और हजारों रुपये के स्टांप उड़ाए, बल्कि टिकटों की भी भारी भरकम चपत लगाई। रविवार की रात सब कुछ शांत था, लेकिन सोमवार की सुबह जब सलाउद्दीन अपनी दुकान खोलने पहुंचे, तो उनके होश उड़ गए। दुकान का ताला टूटा हुआ था, सामान बिखरा पड़ा था, और कीमती सामान गायब था। आनन-फानन में उन्होंने गेट पर तैनात सुरक्षा कर्मियों को खबर दी और पुलिस को सूचना दी। देखते ही देखते मौके पर अधिवक्ताओं और कर्मचारियों की भीड़ जमा हो गई।

पुलिस ने तफ्तीश शुरू की, सीसीटीवी फुटेज खंगालने की बात कही, लेकिन अभी तक चोरों का कोई सुराग नहीं मिला। पीड़ित सलाउद्दीन का कहना है कि शनिवार को दुकान बंद करते वक्त सब कुछ ठीक था, लेकिन रात के अंधेरे में चोरों ने उनके सपनों पर डाका डाल दिया। उन्होंने पुलिस को तहरीर देते हुए बताया, “हजारों रुपये के स्टांप चोरी हो गए, नगदी गायब है, और कल का हिसाब भी नहीं मिल पा रहा। यह पहली बार नहीं हुआ, कुछ दिन पहले भी मेरी दुकान में चोरी हुई थी।”

कलेक्ट्रेट परिसर, जहां ट्रेजरी और रजिस्ट्री ऑफिस जैसे संवेदनशील स्थान पास में हैं, वहां हुई इस वारदात ने सुरक्षा व्यवस्था पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। लोग हैरान हैं कि जिस इलाके में पुलिस और प्रशासन का इतना दबदबा है, वहां चोर इतनी आसानी से हाथ साफ कर कैसे निकल गए? अगर यहां भी चोरी हो सकती है, तो फिर शहर की बाकी जगहों की सुरक्षा का क्या हाल होगा? यह सवाल अब हर किसी के जहन में कौंध रहा है।

पुलिस मामले की जांच में जुटी है, लेकिन जब तक चोर पकड़े नहीं जाते, वाराणसी के इस सबसे संवेदनशील इलाके में हुई चोरी लोगों के बीच चर्चा का विषय बनी रहेगी। क्या यह महज एक चूक है, या सुरक्षा व्यवस्था की बड़ी नाकामी? जवाब का इंतजार सबको है।

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