आगर मालवा, मध्य प्रदेश, 24 जून 2025: सोमवार को आगर मालवा के कोर्ट परिसर में उस वक्त हलचल मच गई, जब एक शख्स आधे तन पर पैंट-शर्ट और आधे पर साड़ी पहने अर्धनारीश्वर के रूप में हाजिर हुआ। इस अनोखी वेशभूषा ने हर किसी को हैरान कर दिया, लेकिन इसके पीछे की कहानी सुनकर लोग और भी स्तब्ध रह गए। यह कहानी है एक पिता की अपने ढाई साल के बेटे के प्रति ममता, प्रेम और कानून से टकराव की।
आरोपों में घिरा फैशन डिजाइनर
इस शख्स का नाम है मनोज बामनिया, जो पेशे से फैशन डिजाइनर है। मनोज पर अपने ही बेटे भव्यांश के अपहरण का आरोप है। तीन महीने से फरार मनोज पर पुलिस ने 10,000 रुपये का इनाम घोषित किया था। सोमवार को वह अपने बेटे के साथ खुद कोर्ट में सरेंडर करने पहुंचा। मनोज ने अपनी वेशभूषा के जरिए समाज को संदेश देने की कोशिश की कि एक पिता भी मां की तरह अपने बच्चे की परवरिश कर सकता है।
तीन महीने पहले हुआ था अपहरण
घटना 16 मार्च 2025 की है, जब मनोज की पत्नी रीना की बहन रोशनी भव्यांश को मंदिर ले जा रही थी। तभी एक बोलेरो गाड़ी से आए बदमाशों ने बच्चे को छीन लिया और फरार हो गए। रीना ने अपने पति मनोज पर ही अपहरण का शक जताया था। पुलिस ने इस मामले में मनोज के पिता सहित तीन लोगों को गिरफ्तार किया और घटना में इस्तेमाल बोलेरो गाड़ी को भी जब्त किया।
पिता की ममता या कानून का उल्लंघन?
मनोज ने कोर्ट में दावा किया कि उसने अपने बेटे की हर जरूरत का ख्याल रखा। वह इंदौर, सूरत और मुंबई में बेटे के साथ रहा और उसकी देखभाल की। मनोज ने कहा, “लोग सोचते हैं कि बच्चे को सिर्फ मां ही पाल सकती है, लेकिन एक पिता में भी वही ममता होती है।” अपनी बात को और गहराई देने के लिए उसने अर्धनारीश्वर का रूप धारण किया, जो नारी और पुरुष दोनों की एकता का प्रतीक है।
दो साल से अलग पति-पत्नी
मनोज और रीना पिछले दो साल से अलग रह रहे हैं। रीना ने मनोज के खिलाफ दहेज प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया था। कोर्ट ने बच्चे की कस्टडी रीना को सौंपी थी, लेकिन मनोज बार-बार बेटे को अपने पास रखने की जिद में कानून तोड़ता रहा।
सवालों के घेरे में मनोज का कदम
मनोज का यह कदम जहां एक ओर पिता के प्रेम और ममता को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह कानून के उल्लंघन का गंभीर मामला भी है। कोर्ट में सरेंडर के बाद अब यह देखना बाकी है कि मनोज और भव्यांश के भविष्य को लेकर अदालत क्या फैसला सुनाती है। इस अनोखी घटना ने न केवल आगर मालवा, बल्कि पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना दिया है।
क्या एक पिता की ममता कानून से ऊपर हो सकती है? यह सवाल अब कोर्ट और समाज दोनों के सामने है।