फर्रुखाबाद: 1995 के पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम हत्याकांड में माफिया अनुपम दुबे और साथी को आजीवन कारावास, 1.03 लाख का जुर्माना

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फर्रुखाबाद, 27 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले की ईसी एक्ट कोर्ट ने 30 साल पुराने एक क्रूर हत्याकांड में माफिया अनुपम दुबे और उसके साथी बालकृष्ण उर्फ शिशु को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने दोनों दोषियों पर कुल 1.03 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। यह फैसला लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के ठेकेदार मोहम्मद शमीम की 1995 में फतेहगढ़ में गोली मारकर हत्या के मामले में आया है, जो इलाके में माफिया दुबे के अपराधी साम्राज्य का प्रतीक माना जाता था।

कड़ी सुरक्षा के बीच मथुरा जेल से लाए गए अनुपम दुबे को फतेहगढ़ न्यायालय परिसर में पेश किया गया, जहां सीओ के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस बल तैनात था। विशेष न्यायाधीश तरुण कुमार सिंह की अदालत ने अभियोजन पक्ष के जिला शासकीय अधिवक्ता सुदेश प्रताप सिंह, एडीजीसी तेज सिंह राजपूत, हरिनाथ सिंह, श्रवण कुमार, अभिषेक सक्सेना और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद यह सजा सुनाई। कोर्ट ने अनुपम दुबे पर 1 लाख 3 हजार रुपये का जुर्माना लगाया, जबकि उसके साथी बालकृष्ण पर 3 हजार रुपये का।

घटना 26 जुलाई 1995 की है, जब कन्नौज जिले के थाना गुरसहायगंज के कस्बा समधन निवासी पीडब्ल्यूडी ठेकेदार शमीम खान फतेहगढ़ के मुहल्ला बजरिया अलीगंज में अपने साझेदार राजेंद्र प्रसाद तिवारी से मिलने गए थे। शमीम के छोटे भाई नसीम खान के मुताबिक, उनके भाई सरफराज और इदरीश के साथ वहां पहुंचे थे। अचानक अनुपम दुबे और उसके साथियों ने शमीम को घेर लिया और दिनदहाड़े फायरिंग कर दी। गोली लगने से शमीम की मौके पर ही मौत हो गई। नसीम ने फतेहगढ़ कोतवाली में तुरंत रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसमें अनुपम दुबे, उसके चाचा कौशल किशोर दुबे, लक्ष्मीनारायन, राजू लंगड़ा उर्फ राजेंद्र बाथम, बालकिशन उर्फ शिशु और नेमकुमार बिलैया के नाम शामिल थे।

सीबीसीआईडी ने जांच के बाद पांच अभियुक्तों के खिलाफ अलग-अलग तारीखों पर आरोप पत्र दाखिल किया। इस मामले में कौशल किशोर और लक्ष्मी नारायण की मौत हो चुकी है, जबकि राजू लंगड़ा और नेमकुमार के खिलाफ अलग से कार्रवाई चल रही है। अनुपम दुबे पर पहले से 60 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिसमें हत्या, अपहरण, वसूली और गैंगस्टर एक्ट शामिल हैं। एक साल पहले दिसंबर 2023 में कानपुर कोर्ट ने इंस्पेक्टर रामनिवास यादव हत्याकांड के मामले में उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जहां वह मथुरा जेल में बंद है।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह हत्या अनुपम दुबे के पिता की हत्या का बदला लेने के लिए की गई थी। शमीम ठेकेदारी में सक्रिय थे और इलाके में दुबे गैंग के खिलाफ खड़े हुए थे। कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कहा कि अपराध की गंभीरता को देखते हुए आजीवन कारावास उचित है। जुर्माने की राशि मृतक के परिवार को दी जाएगी।

फर्रुखाबाद एसपी आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि माफिया दुबे के खिलाफ लगातार कार्रवाई जारी है। उसके और परिवार की 200 करोड़ से अधिक की संपत्ति गैंगस्टर एक्ट के तहत कुर्क हो चुकी है। इलाके में दुबे गैंग का खौफ था, लेकिन योगी सरकार की सख्ती से अपराधियों पर लगाम लगी है। अनुपम दुबे के भाई अनुराग दुबे उर्फ डब्बन फरार हैं, जिन पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित है।

यह फैसला उत्तर प्रदेश में माफिया विरोधी अभियान का एक और उदाहरण है, जहां पुराने मामलों में भी न्याय सुनिश्चित किया जा रहा है।

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