संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की एक अहम बैठक शनिवार को सिंघू सीमा पर होगी, जिसमें आंदोलन के भविष्य के बारे में फैसला लिया जाएगा। किसान नेताओं ने कहा कि एमएसपी पर एक पैनल के लिए केंद्र को पांच नाम भेजने पर कोई फैसला बैठक में लिया जाएगा क्योंकि उन्हें अभी तक सरकार से कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है।
बैठक में प्रदर्शनकारी किसानों की लंबित मांगों पर भी विचार किया जाएगा, जिनमें फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी, किसानों के खिलाफ मामले वापस लेना, आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को मुआवजा देना शामिल हैं।
एसकेएम कोर कमेटी के सदस्य दर्शन पाल ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि केंद्र सरकार की तरफ से अभी तक कोई औपचारिक आश्वासन नहीं मिलने के कारण किसान अपनी लंबित मांगों के लिए संघर्ष करने को मजबूर हैं। प्रधानमंत्री को लिखे अपने पत्र में आंदोलन को वापस लेने के लिए 6 प्रमुख मांगें उठाई थीं मगर सरकार की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है। ऐसे में किसानों को आंदोलन जारी रखने के लिए बाध्य किया जा रहा है।
पाल ने कहा कि प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में जिन 6 मुद्दों का जिक्र किया है उनमें से एक प्रदर्शनकारी किसानों के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का था। विशेष रूप से भाजपा शासित राज्यों हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और हिमाचल प्रदेश में हजारों किसानों के खिलाफ सैकड़ों बेबुनियाद और झूठे मुकदमे दर्ज किए गए हैं। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह केवल हरियाणा के मामलों के बारे में नहीं है बल्कि हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भी मामले हैं।
एसकेएम ने एक बयान में कहा कि उसके नेताओं को इस मुद्दे पर केंद्र से फोन आया था लेकिन कोई औपचारिक संवाद नहीं हुआ था। लिहाजा आंदोलन का आगे का रास्ता तय करने के लिए बैठक रखी गई है।