लखनऊ, 28 अगस्त 2025: लखनऊ, उत्तर प्रदेश की राजधानी, जहां साइबर ठगों ने अपनी क्रूर चालाकी से एक परिवार को डर और धोखे के जाल में फंसा दिया। इस बार शिकार बने 100 साल के बुजुर्ग हरदेव सिंह और उनके 70 वर्षीय बेटे सुरिंद्र पाल सिंह, जिनसे ठगों ने 6 दिनों तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ के नाम पर 1.29 करोड़ रुपये लूट लिए। यह मामला न सिर्फ साइबर अपराध की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि कैसे उम्र और अनुभव भी इन ठगों के सामने बेबस हो सकते हैं।
फोन कॉल से शुरू हुआ दहशत का खेल
20 अगस्त को लखनऊ के सरोजिनी नगर थाना क्षेत्र की सैनिक हाउसिंग सोसाइटी में रहने वाले रिटायर्ड मर्चेंट नेवी अधिकारी सुरिंद्र पाल सिंह के पास एक फोन आया। कॉलर ने खुद को सीबीआई अधिकारी आलोक सिंह बताया। उसने दावा किया कि सुरिंद्र और उनके बुजुर्ग पिता हरदेव सिंह के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का गंभीर मामला दर्ज है और उनके नाम पर अरेस्ट वारंट जारी हो चुका है। डर को और गहरा करने के लिए, ठग ने व्हाट्सएप पर एक फर्जी अरेस्ट वारंट की तस्वीर भी भेज दी।
हरदेव सिंह, जो सदी का सफर तय कर चुके हैं, को भी ठगों ने नहीं बख्शा। उन्हें भी कॉल कर डिजिटल अरेस्ट की धमकी दी गई। इस धमकी ने पूरे परिवार को डर के साये में ला दिया। ठगों ने दोनों को घर से बाहर न निकलने और किसी से बात न करने की सख्त हिदायत दी, जिससे वे मानसिक रूप से पूरी तरह ‘कैद’ हो गए।
वेरिफिकेशन के नाम पर लूट
ठगों ने ‘जांच’ और ‘वेरिफिकेशन’ के बहाने सुरिंद्र से उनके बैंक खातों की संवेदनशील जानकारी हासिल कर ली। डर का माहौल बनाकर, 21 से 26 अगस्त के बीच ठगों ने उनके खातों से 1.29 करोड़ रुपये अलग-अलग बैंकों में ट्रांसफर करवा लिए। इसमें 32 लाख रुपये बैंक ऑफ बड़ौदा भावनगर, 45 लाख रुपये आईसीआईसीआई बैंक पौड़ा, और 52 लाख रुपये जलगांव फाटा के खातों में जमा कराए गए। ठगों ने झूठा आश्वासन दिया कि जांच पूरी होने के बाद सारी रकम वापस मिल जाएगी।
ठगी का एहसास और पुलिस की कार्रवाई
जब तय समय में पैसा वापस नहीं आया, तो सुरिंद्र को ठगी का अंदेशा हुआ। उन्होंने तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज की और सरोजिनी नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई। थाना प्रभारी राजदेव राम प्रजापति ने बताया कि पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। ठगों की लोकेशन और बैंक ट्रांजेक्शनों का पता लगाने के लिए पुलिस की साइबर टीम सक्रिय हो गई है।
साइबर ठगी का बढ़ता खतरा
यह घटना साइबर ठगी के बढ़ते खतरे की एक और मिसाल है। ठग न केवल तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं, बल्कि लोगों की भावनाओं और डर को हथियार बनाकर उन्हें निशाना बना रहे हैं। खासकर बुजुर्ग, जो तकनीक से कम वाकिफ होते हैं, उनके लिए यह खतरा और भी गंभीर है।
सतर्कता ही बचाव
पुलिस और साइबर विशेषज्ञ बार-बार लोगों को सतर्क रहने की सलाह दे रहे हैं। अज्ञात कॉल्स पर भरोसा न करना, व्यक्तिगत या बैंक जानकारी साझा न करना, और संदिग्ध कॉल की सूचना तुरंत पुलिस को देना इस तरह की ठगी से बचने के लिए जरूरी है। लखनऊ का यह मामला हमें याद दिलाता है कि डिजिटल युग में सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है।
इस घटना ने न केवल एक परिवार की जिंदगी को झकझोर दिया, बल्कि समाज को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या हम सचमुच इस डिजिटल जाल से सुरक्षित हैं?