नोएडा, 3 जुलाई 2025: नोएडा के थाना फेज-1 पुलिस ने एक बड़े फर्जीवाड़े का खुलासा करते हुए फर्जी मार्कशीट और शैक्षिक प्रमाण पत्र तैयार करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। इस कार्रवाई में गिरोह के सरगना अभिमन्यु गुप्ता (40 वर्ष) और उनके सहयोगी धर्मेंद्र गुप्ता (42 वर्ष) को गिरफ्तार किया गया है। दोनों मूल रूप से कानपुर के रहने वाले हैं और वर्तमान में नोएडा के सेक्टर-100 और सेक्टर-99 में किराए के मकानों में रहकर अपनी अवैध गतिविधियों को अंजाम दे रहे थे।
पुलिस ने आरोपियों के कब्जे से 66 फर्जी मार्कशीट, 7 माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 22 रिज्यूमे, 14 प्लेन परीक्षा कॉपियां, 9 डेटा शीट, 4 फर्जी मोहरें, 2 लैपटॉप, 2 प्रिंटर, 1 लैंडलाइन फोन, 14 विभिन्न बैंकों की चेकबुक, 8 रसीद बुक, 8 डेबिट/क्रेडिट कार्ड, 7 मोबाइल फोन, 9 सिम कार्ड, और 2 कारें बरामद की हैं। इसके अलावा, एक स्कूटी और अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं।
1.5 साल से चल रहा था अवैध ऑफिस
डीसीपी नोएडा यमुना प्रसाद ने बताया कि यह गिरोह पिछले डेढ़ साल से सेक्टर-1 में जल बोर्ड ऑफिस के पास किराए पर लिए गए एक ऑफिस से संचालित हो रहा था। गिरोह बेरोजगार युवाओं, परीक्षा में फेल हुए छात्रों, और आयु सीमा पार कर चुके व्यक्तियों को निशाना बनाता था। ये लोग विभिन्न राज्यों के बोर्ड और विश्वविद्यालयों की फर्जी मार्कशीट और डिग्री तैयार करते थे, जिनमें 10वीं, 12वीं से लेकर मास्टर्स और प्रोफेशनल कोर्स की डिग्री शामिल थीं।
80,000 से 2 लाख रुपये में बनती थी फर्जी मार्कशीट
पुलिस के अनुसार, गिरोह ग्राहकों की मांग के आधार पर मार्कशीट में अंक, प्रतिशत, और उम्र तक बदल देता था। इसके लिए वे 80,000 रुपये से लेकर 2 लाख रुपये तक वसूलते थे। डीसीपी यमुना प्रसाद ने बताया कि आरोपी गूगल से डेटा इकट्ठा करते थे और विश्वविद्यालयों की मार्कशीट का डिजाइन डाउनलोड कर उसे एडिट करते थे। इसके बाद उच्च गुणवत्ता वाले प्रिंटर से प्रिंट निकालकर फर्जी मार्कशीट तैयार की जाती थी, जो देखने में बिल्कुल असली जैसी लगती थी।
कैसे हुआ खुलासा?
पुलिस को कुछ समय पहले सूचना मिली थी कि थाना फेज-1 क्षेत्र में फर्जी मार्कशीट बनाने वाला गिरोह सक्रिय है। इसके बाद स्वाट और स्थानीय पुलिस की एक संयुक्त टीम ने लंबे समय तक रेकी की और सबूत इकट्ठा किए। एक पुलिसकर्मी को ग्राहक बनाकर अभिमन्यु के पास भेजा गया, जहां 66,000 रुपये में मार्कशीट बनाने का सौदा तय हुआ। इसके बाद पुलिस ने छापेमारी कर दोनों आरोपियों को जल बोर्ड ऑफिस के पास से धर दबोचा।
100 से अधिक लोगों के साथ ठगी
पुलिस के अनुसार, यह गिरोह पिछले 3-4 सालों से नोएडा, गाजियाबाद, दिल्ली, मेरठ, और अन्य राज्यों में सक्रिय था। अब तक 100 से अधिक बेरोजगार युवकों और छात्रों को ठगी का शिकार बनाया जा चुका है। गिरोह ने प्राइवेट कंपनियों और फैक्ट्रियों में नौकरी पाने के इच्छुक लोगों को निशाना बनाया, जिन्हें फर्जी मार्कशीट के बारे में पता था, लेकिन वे इसे प्राइवेट नौकरियों के लिए इस्तेमाल करते थे।
आगे की जांच जारी
पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों और इसके नेटवर्क की जांच कर रही है। डीसीपी ने बताया कि यह संदेह है कि इस गिरोह के तार अन्य शहरों से भी जुड़े हो सकते हैं। साथ ही, उन लोगों की पहचान की जा रही है, जिन्होंने फर्जी मार्कशीट के आधार पर नौकरियां हासिल की हैं। पुलिस का दावा है कि इस तरह की कार्रवाई से फर्जीवाड़े पर अंकुश लगेगा और भविष्य में ऐसी गतिविधियों को रोकने में मदद मिलेगी।