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Sunday, December 22, 2024

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा – भारत वीटो करने की अनुमति नहीं दे सकता, अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, उसे बिना डरे करेगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शनिवार को कहा कि भारत कभी भी दूसरों को अपनी पसंद पर वीटो करने की अनुमति नहीं दे सकता है और वह अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए जो भी सही होगा, उसे बिना डरे करेगा।
विदेश मंत्री ने मुंबई में एक समारोह संबोधित करने के लिए वीडियो संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि जब भारत वैश्विक स्तर पर और गहराई से जुड़ता है, तो उसके परिणाम गहरे होते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की समृद्ध विरासत से दुनिया को बहुत कुछ सीखने को मिल सकता है, लेकिन यह तभी संभव है जब भारतीय अपने पर गर्व करें।

जयशंकर ने कहा कि वैश्वीकरण के इस युग में प्रौद्योगिकी और परंपरा को साथ में आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘भारत निश्चित रूप से प्रगति करेगा, लेकिन उसे अपनी भारतीयता को खोए बिना ऐसा करना होगा। तभी हम एक बहुध्रुवीय दुनिया में एक प्रमुख शक्ति बन सकते हैं।’
जयशंकर को 27वें एसआईईएस अवॉर्ड से सम्मानित किया
इस अवसर पर विदेश मंत्री जयशंकर को 27वें एसआईईएस श्री चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती नेशनल एमिनेंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पुरस्कार चार क्षेत्रों में दिए जाते हैं- सार्वजनिक नेतृत्व, सामुदायिक नेतृत्व, मानव प्रयास, विज्ञान और प्रौद्योगिकी और सामाजिक नेतृत्व- जिसमें अध्यात्मवाद को विशेष महत्व दिया जाता है। इन पुरस्कारों का नाम कांची कामकोटि पीठम के 68वें द्रष्टा स्वर्गीय चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती के नाम पर रखा गया है। हालांकि, विदेश मंत्री इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए, लेकिन उन्होंने अपना वीडियो संदेश भेजा। 
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, ‘स्वतंत्रता को कभी भी तटस्थता के साथ भ्रमित नहीं किया जाना चाहिए। हम अपने राष्ट्रीय हित और वैश्विक भलाई के लिए सही कदम उठाने से नहीं डरेंगे। उन्होंने कहा कि भारत कभी भी दूसरों को अपनी पसंद पर वीटो करने की अनुमति नहीं दे सकता।’ 
उन्होंने आगे बताया कि लंबे समय से हमें प्रगति और आधुनिकता को हमारी परंपराओं की अस्वीकृति के रूप में देखने की शिक्षा दी गई। लेकिन अब, जैसे-जैसे लोकतंत्र मजबूत हुआ है, देश अपनी पहचान फिर से खोज रहा है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि भारत एक असाधारण राष्ट्र है, क्योंकि यह एक सभ्यता वाला देश है। उन्होंने कहा कि इसकी सांस्कृतिक ताकत को पूरी तरह से इस्तेमाल करने से ही यह वैश्विक स्तर पर प्रभाव डाल सकेगा। इसके लिए जरूरी है कि युवा पीढ़ी अपनी विरासत के मूल्य को समझे। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसका सामाजिक स्तर पर प्रभाव होना चाहिए। 

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