वाराणसी, 1 अगस्त 2025: फेफड़े का कैंसर अब केवल बुजुर्गों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि युवा भी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं। बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के टीबी एंड चेस्ट विभाग में हर सप्ताह फेफड़े के कैंसर के पांच नए मरीजों की पुष्टि हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान के अलावा बढ़ता वायु प्रदूषण भी इस बीमारी का प्रमुख कारण बन रहा है।
बीएचयू के टीबी एंड चेस्ट विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. अतुल तिवारी ने बताया कि वाराणसी, पूर्वांचल और बिहार से आने वाले मरीजों में लगातार खांसी, वजन घटना और भूख कम होने जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। जांच के बाद इनमें फेफड़े के कैंसर की पुष्टि होती है। उन्होंने कहा, “हर 100 मरीजों में दो से तीन युवा (30-45 वर्ष) इस बीमारी से पीड़ित मिल रहे हैं।”
प्रदूषण बना बड़ा खतरा
डॉ. तिवारी के अनुसार, पहले धूम्रपान को फेफड़े के कैंसर का मुख्य कारण माना जाता था, लेकिन अब प्रदूषण भी इसकी बड़ी वजह बन रहा है। शहरों में खराब हवा की गुणवत्ता लोगों के फेफड़ों को नुकसान पहुंचा रही है।
हर महीने एक मरीज का ऑपरेशन
सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के डॉ. तरुण कुमार ने बताया कि फेफड़े के कैंसर का जल्दी पता चलना जरूरी है। कई मरीज इसे टीबी समझकर गलत इलाज कराते हैं, जिससे स्थिति बिगड़ जाती है। विभाग में हर महीने एक मरीज का ऑपरेशन किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “युवाओं में इस बीमारी के बढ़ते मामले चिंताजनक हैं। जागरूकता अभियान भी चलाए जा रहे हैं।”
इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज
- लगातार खांसी, खासकर खून वाली
- वजन घटना और भूख न लगना
- सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द
- बोलने में दिक्कत या आवाज में बदलाव
विशेषज्ञों की सलाह है कि इन लक्षणों के दिखने पर तुरंत चिकित्सक से जांच कराएं। समय पर इलाज से इस गंभीर बीमारी से बचा जा सकता है।