इटावा, 25 जून 2025: उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में बकेवर थाना क्षेत्र के ददरपुर गांव में भागवत कथा के दौरान हुए कथित मारपीट और छेड़खानी प्रकरण ने नया मोड़ ले लिया है। पीड़िता रेनू तिवारी की गवाही ने समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव के जातीय ध्रुवीकरण के एजेंडे की पोल खोल दी। शुरू में मामला ब्राह्मण समुदाय और यादव कथावाचकों के बीच टकराव का लग रहा था, लेकिन पीड़िता के सनसनीखेज खुलासे ने सारी कहानी पलट दी। रेनू तिवारी ने कथावाचकों मुकुट मणि यादव और संत सिंह यादव पर छेड़खानी का गंभीर आरोप लगाया, जिससे अखिलेश का ब्राह्मण विरोधी नैरेटिव ध्वस्त हो गया।
महिला से बदतमीजी बनी विवाद की जड़
पीड़िता और उनके पति के अनुसार, कथावाचकों ने पहले दिन ही रेनू तिवारी के साथ बदतमीजी की। इसका विरोध करने पर गांव के कुछ युवकों और कथावाचकों के बीच तनाव बढ़ा, जो मारपीट तक जा पहुंचा। पीड़िता ने स्पष्ट किया कि कथावाचकों ने खुद को ब्राह्मण बताकर कथा शुरू की थी, लेकिन उनके कृत्य ने उनकी असलियत उजागर कर दी। इस खुलासे के बाद ब्राह्मण महासभा ने भी कथावाचकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठाई है और चेतावनी दी है कि यदि दोषियों को जल्द सजा नहीं मिली, तो आंदोलन होगा।
अखिलेश की जातिगत राजनीति फिर निशाने पर
अखिलेश यादव ने इस मामले को ब्राह्मण बनाम यादव का रंग देकर अपनी पुरानी जातिवादी राजनीति को हवा देने की कोशिश की। बिना तथ्यों की जांच किए उन्होंने ब्राह्मण समुदाय पर निशाना साधा और इसे सियासी रंग देने में जुट गए। लेकिन पीड़िता की गवाही ने उनके सारे दावों की हवा निकाल दी। सवाल उठता है कि जब पीड़िता खुद एक महिला है और आरोपी उनके अपने समर्थित वर्ग से हैं, तो अखिलेश का यह ब्राह्मण विरोधी राग क्यों? जानकारों का मानना है कि अखिलेश की राजनीति का आधार ही जातिगत ध्रुवीकरण है, और वे हर मुद्दे को उसी चश्मे से देखते हैं।
योगी सरकार की निष्पक्ष कार्रवाई
विपक्ष के उसूलों के उलट योगी सरकार ने इस मामले में निष्पक्षता का परिचय दिया। घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस ने चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और निष्पक्ष जांच के निर्देश दिए गए। योगी सरकार का रुख साफ है—अपराधी की जाति नहीं, उसका अपराध मायने रखता है। इस त्वरित कार्रवाई ने एक बार फिर साबित कर दिया कि उत्तर प्रदेश में कानून का राज है।
अखिलेश का असली चेहरा उजागर
इटावा कांड ने अखिलेश यादव की विभाजनकारी राजनीति को फिर बेनकाब किया है। जनता अब समझ चुकी है कि ऐसे नेता समाज को बांटकर अपनी सियासी रोटियां सेंकते हैं। पीड़िता के खुलासे ने न सिर्फ अखिलेश के झूठे नैरेटिव को ध्वस्त किया, बल्कि यह भी साबित कर दिया कि सच्चाई और न्याय के सामने कोई सियासी साजिश टिक नहीं सकती। जनता ने अखिलेश जैसे नेताओं को बार-बार सबक सिखाया है, और आने वाले समय में भी यह सिलसिला जारी रहने की उम्मीद है।