वाराणसी, 08 अगस्त 2025: वरुणा नदी के किनारे बने कॉरिडोर की सैर-सपाटे की सैरगाह बनने की उम्मीदें धूमिल हो रही हैं। वाराणसी विकास प्राधिकरण (वीडीए) की लापरवाही ने एक बार फिर सवाल खड़े किए हैं। कभी वीडीए की वेबसाइट पर मौजूद 762 अवैध निर्माणों की सूची अब रहस्यमयी ढंग से ‘लापता’ हो चुकी है। इनमें छावनी क्षेत्र के बड़े-बड़े होटल और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स शामिल हैं, जिन पर नौ साल पहले कार्रवाई का दावा किया गया था, लेकिन हकीकत में कोई कदम नहीं उठा।
नौ साल पुराना सर्वे, फिर भी कार्रवाई शून्य
साल 2016 में वीडीए, राजस्व विभाग, नगर निगम और सिंचाई विभाग की संयुक्त टीम ने वरुणा नदी के किनारे 762 अवैध निर्माणों को चिह्नित किया था। इनमें 27 बड़े होटल और व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स शामिल थे, जो नदी के किनारे 50 मीटर के डूब क्षेत्र में बने थे। वीडीए ने इन अतिक्रमणों की सूची अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक की थी और नोटिस भी जारी किए थे। लेकिन अब न तो सूची वेबसाइट पर है और न ही इन निर्माणों पर कोई कार्रवाई हुई। सूत्रों की मानें तो प्रभावशाली लोगों के दबाव में यह सूची वेबसाइट से हटाई गई।
वरुणा कॉरिडोर: पर्यटन का सपना अधूरा
छावनी से सरायमोहाना आदिकेशव घाट तक 11 किलोमीटर लंबे वरुणा कॉरिडोर को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करने की योजना थी। नदी के दोनों किनारों पर 50-50 मीटर के डूब क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट बनाने के लिए बोर्ड भी लगाए गए थे। लेकिन रखरखाव के अभाव में यह कॉरिडोर अपनी चमक खो चुका है। महायोजना-2031 में वरुणा के किनारे हरित पट्टी और पिकनिक स्पॉट की परिकल्पना की गई थी, ताकि शहर के बढ़ते वायु प्रदूषण को कम किया जा सके। लेकिन अतिक्रमण और लापरवाही ने इस सपने को धुंधला कर दिया।
100 से 50 मीटर हुई ग्रीन बेल्ट, फिर भी अतिक्रमण बरकरार
सपा सरकार के दौरान महायोजना-2031 में वरुणा के किनारे 100 मीटर की ग्रीन बेल्ट प्रस्तावित थी। जनता की आपत्तियों के बाद इसे घटाकर 50 मीटर कर दिया गया। बावजूद इसके, अवैध निर्माणों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। वीडीए के एक अधिकारी ने बताया कि वरुणा किनारे नए सिरे से सर्वे शुरू किया गया है और जल्द ही कार्रवाई की जाएगी। लेकिन स्थानीय लोग इसे महज खानापूरी मान रहे हैं।
नागरिकों में आक्रोश, सवालों के घेरे में वीडीए
वरुणा कॉरिडोर के आसपास रहने वाले नागरिकों का कहना है कि बड़े होटल और कॉम्प्लेक्स मालिकों को संरक्षण मिल रहा है, जबकि छोटे अतिक्रमणों पर ही कार्रवाई होती है। एक स्थानीय निवासी बृजेन्द्र यादव ने कहा, “सूची गायब होने से साफ है कि प्रभावशाली लोग बच निकले। वरुणा को बचाने का सपना अब सिर्फ कागजों तक सीमित है।”
क्या वीडीए इस बार वरुणा कॉरिडोर को अतिक्रमण मुक्त कर पाएगा? या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा? शहरवासियों की नजर अब प्रशासन के अगले कदम पर टिकी है।