दिल्ली, 15 अप्रैल 2025, मंगलवार: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सम्राट विक्रमादित्य के स्वर्णिम युग को जीवंत कर एक बार फिर इतिहास के पन्नों को रंगमंच पर उतार दिया। दिल्ली में तीन दिवसीय महानाट्य “सम्राट विक्रमादित्य” का मंचन न केवल एक सांस्कृतिक उत्सव है, बल्कि भारत की गौरवशाली विरासत को जन-जन तक पहुंचाने का एक प्रेरक प्रयास भी है। विशाला सांस्कृतिक एवं लोकहित समिति द्वारा आयोजित और संजीव मालवीय के निर्देशन में यह नाट्य सम्राट के जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों—बेताल पच्चीसी, सिंहासन बत्तीसी, संवत् प्रवर्तन और राज्याभिषेक—को अत्याधुनिक तकनीकों के साथ प्रस्तुत कर रहा है।

सम्राट का युग, जन-जन तक
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा, “इस महानाट्य का उद्देश्य सम्राट विक्रमादित्य के शासनकाल की विचारधारा और सोच को पुनर्जनन करना है। उनकी न्यायप्रियता, धर्म, कला और संस्कृति से भरा युग आज भी प्रेरणा देता है।” उन्होंने दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का स्वागत अध्यक्ष के रूप में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। डॉ. यादव का यह प्रयास 18 वर्षों से भावनात्मक रूप से जुड़ा है, जब वे इस नाट्य में सम्राट के पिता की भूमिका निभाते थे।

राष्ट्रपटल पर विक्रमादित्य की गौरवगाथा
केंद्रीय संचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “डॉ. यादव ने सम्राट विक्रमादित्य की गौरवगाथा को राष्ट्रपटल पर लाने का ऐतिहासिक कार्य किया है। भविष्य में यह विश्व मंच तक पहुंचेगा।” उन्होंने 1771 में मराठा योद्धा महादजी शिंदे द्वारा लाल किले पर भगवा ध्वज फहराने की घटना का जिक्र करते हुए सम्राट की वीरता से तुलना की। सिंधिया ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी योजनाएं भी विक्रमादित्य के शासन की याद दिलाती हैं।

इतिहास से प्रेरणा, भविष्य का निर्माण
राज्यसभा उपसभापति हरिवंश ने कहा, “वर्तमान युग भारत के पुनर्जागरण का दौर है। सम्राट विक्रमादित्य का शासनकाल हमें न्याय, धर्म और संस्कृति की प्रेरणा देता है। डॉ. यादव ने इसे जनमानस की स्मृति में ताजा कर एक सराहनीय कार्य किया है।” उन्होंने इस महानाट्य को अतीत से भविष्य गढ़ने की ताकत देने वाला बताया।

एक भारत, श्रेष्ठ भारत
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस आयोजन को दिल्ली के लिए गर्व का क्षण बताया। उन्होंने कहा, “यह महानाट्य एक भारत-श्रेष्ठ भारत का संदेश देता है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में राज्य अपनी संस्कृतियों का आदान-प्रदान कर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। डॉ. यादव ने विभिन्न प्रदेशों की संस्कृतियों को माला की तरह पिरोकर जनता तक पहुंचाने की शुरुआत की है।”

गणमान्य हस्तियों की उपस्थिति
कार्यक्रम में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री सावित्री ठाकुर, मध्यप्रदेश के लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर, जनजातीय कार्य मंत्री कुंवर विजय शाह, लोक स्वास्थ्य राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल, सांसद वीडी शर्मा, आचार्य अचिलानंद जी महाराज और दिल्ली के गृह व ऊर्जा मंत्री आशीष सूद सहित कई गणमान्य उपस्थित रहे।

विरासत और विकास का संगम
यह महानाट्य केवल एक मंचीय प्रस्तुति नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत करने और इसे विश्व मंच तक ले जाने का एक संकल्प है। सम्राट विक्रमादित्य की कहानी आज भी हमें एकजुटता, न्याय और समृद्धि का पाठ पढ़ाती है। डॉ. मोहन यादव का यह प्रयास निश्चित रूप से आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगा और भारत की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत करेगा।