वाराणसी, 13 मई 2025, मंगलवार। वाराणसी की सड़कों पर धूप चिलचिलाती है, और घरों में बिजली गायब! आज सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक शहर के दौलतपुर उपकेंद्र से जुड़े इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप रही। भक्तिनगर, रमरेपुर, दौलतपुर, प्रेमचंद नगर, गणपत नगर, अकथा और आवास विकास कॉलोनी जैसे क्षेत्रों में करीब 50,000 लोग इस कटौती की चपेट में आए। बिजली विभाग का कहना है कि जर्जर तारों और ट्रांसफॉर्मरों को बदलने के लिए यह ‘घोषित’ कटौती जरूरी थी। लेकिन सवाल यह है—क्या सिर्फ यही वजह है?
अघोषित कटौती: गर्मी में जनता की हालत खराब
घोषित कटौती तो बस नाम की थी। असली मुसीबत है अघोषित बिजली कटौती, जो शहरवासियों का जीना मुहाल किए हुए है। भीषण गर्मी और उमस के बीच बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली गुल हो रही है। सोमवार रात को शिवपुर, भोजूबीर और अर्दली बाजार जैसे इलाकों में बार-बार बिजली गायब हुई। नतीजा? लोग रात भर जागते रहे, पंखे बंद, और नींद कोसों दूर। एक स्थानीय निवासी ने तंज कसते हुए कहा, “बिजली गई तो आराम भी गया! अब क्या, तारे गिनें?”
बिजली चोरी पर सख्ती, लेकिन समाधान कहाँ?
बिजली विभाग ने चोरी रोकने के लिए कमर कस ली है। अर्दली बाजार के उल्फत बीबी के हाता में चार लोगों को बिजली चोरी करते रंगे हाथ पकड़ा गया। बीते 24 घंटों में 767 घरों की जाँच की गई, और 8 के खिलाफ केस दर्ज हुआ। लेकिन क्या यह सख्ती बिजली की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित कर पाएगी? जनता का सवाल साफ है—बिना बताए कब तक चलेगा यह अंधेरा?
आवाज उठ रही, जवाब कौन देगा?
वाराणसी के लोग अब जवाब माँग रहे हैं। गर्मी की मार, उमस का दबाव, और ऊपर से बिजली का यह ‘ब्लैकआउट’ खेल—आखिर कब तक? बिजली विभाग को चाहिए कि वह न सिर्फ जर्जर तारों को बदले, बल्कि अघोषित कटौती पर भी लगाम लगाए। क्योंकि बिजली नहीं, तो शहर की रौनक भी फीकी पड़ने लगती है।
क्या आप भी इस बिजली संकट से जूझ रहे हैं? अपनी कहानी साझा करें, क्योंकि आवाज़ उठेगी, तभी तो अंधेरा हटेगा!