नई दिल्ली, 2 मार्च 2025, रविवार। निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि एक जैसे मतदाता पहचानपत्र नंबर का मतलब यह नहीं है कि वे फर्जी मतदाता हैं। आयोग ने कहा है कि कुछ मतदाताओं के मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) नंबर समान हो सकते हैं, लेकिन जनसांख्यिकीय विवरण, विधानसभा क्षेत्र और मतदान केंद्र सहित अन्य विवरण अलग-अलग होते हैं।
आयोग ने कहा है कि ईपीआईसी नंबर चाहे जो भी हो, कोई भी मतदाता अपने राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में अपने निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है, जहां वह मतदाता सूची में पंजीकृत है। इसके अलावा वह कहीं और मतदान नहीं कर सकता।
आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी राज्यों के मतदाता सूची डेटाबेस को ‘ईआरओएनईटी’ मंच पर डालने से पहले विकेन्द्रीकृत और मैन्युअल प्रक्रिया का पालन किए जाने के कारण विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के कुछ मतदाताओं को समान ईपीआईसी संख्या आवंटित की गई थी।
निर्वाचन आयोग ने बताया कि इसके परिणामस्वरूप कुछ राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी एक ही ईपीआईसी अक्षरांकीय श्रृंखला का उपयोग कर रहे हैं और विभिन्न राज्यों में विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं को एक जैसे ईपीआईसी नंबर आवंटित किए जाने की गुंजाइश है।
निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, ‘ईआरओएनईटी’ एक जैसी प्रविष्टियों को हटाकर और एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित होने वाले मतदाताओं को शामिल करके चुनावी प्रणाली को बनाए रखने में निर्वाचन अधिकारियों को मदद करता है।
इसने कहा, किसी भी शंका को दूर करने के लिए, आयोग ने निर्णय लिया है कि पंजीकृत मतदाताओं को विशिष्ट ईपीआईसी नंबर आवंटित करना सुनिश्चित किया जाए। एक जैसे ईपीआईसी नंबर के किसी भी मामले को एक विशिष्ट ईपीआईसी नंबर आवंटित करके ठीक किया जाएगा।
निर्वाचन आयोग ने कहा कि इस प्रक्रिया में सहायता और सहयोग के लिए ‘ईआरओएनईटी’ 2.0 मंच को अद्यतन किया जाएगा।