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Thursday, July 31, 2025

ईडी का मास्टरस्ट्रोक: अतुल राय और मुख्तार अंसारी के काले साम्राज्य पर कसा शिंकजा, ₹4.18 करोड़ की संपत्ति जब्त

नई दिल्ली, 15 जुलाई 2025: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक और बड़ा कदम उठाया है। प्रयागराज सब-ज़ोनल कार्यालय ने पूर्व सांसद अतुल राय और कुख्यात माफिया मुख्तार अंसारी के करीबियों से जुड़ी ₹4.18 करोड़ की संपत्तियों को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत जब्त कर लिया है। यह कार्रवाई अवैध कमाई के जाल को तोड़ने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

क्या है मामला?

ईडी की जांच मऊ के दक्षिण टोला थाने में दर्ज एक एफआईआर से शुरू हुई, जिसमें आरोप था कि मुख्तार अंसारी के प्रभाव में चलने वाली विकास कंस्ट्रक्शन कंपनी ने सरकारी जमीन पर अवैध रूप से गोदाम बनाया। इस गोदाम को भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को किराए पर देकर करोड़ों रुपये की अवैध कमाई की गई। जांच में खुलासा हुआ कि एफसीआई से ₹15.31 करोड़ का किराया, नाबार्ड से ₹2.25 करोड़ की सब्सिडी, और पूर्व पार्टनर्स से जबरन वसूले गए ₹3.10 करोड़ समेत कुल ₹27.72 करोड़ की काली कमाई की गई।

इस अवैध धन को “सफेद” करने के लिए एक जटिल जाल बुना गया। पैसा कई फर्जी कंपनियों और व्यक्तियों के खातों में ट्रांसफर किया गया, ताकि इसके स्रोत को छुपाया जा सके।

जब्त संपत्तियों का ब्योरा

ईडी ने दिल्ली में एक फ्लैट, वाराणसी में तीन रिहायशी प्लॉट, और गाजीपुर में खेती की जमीन समेत कुल छह संपत्तियों को अटैच किया है। ये संपत्तियां अतुल राय की कंपनी स्पेक्ट्रम इन्फ्रासर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड और जितेंद्र सपरा के नाम पर थीं। जांच में सामने आया कि कुसुमविज़न इन्फ्रा, कुसुम कंस्ट्रक्शन एंड टेलीकॉम सर्विसेस, और अन्य कंपनियां अतुल राय के नियंत्रण में थीं, जिनके जरिए अवैध धन को संपत्तियों में बदला गया। इसके अलावा, जितेंद्र सपरा और उनके परिवार के खातों में ₹1 करोड़ ट्रांसफर किए गए, जिनसे अचल संपत्तियां खरीदी गईं।

मुख्तार अंसारी का आपराधिक साम्राज्य

मुख्तार अंसारी, जिनके खिलाफ हत्या, जबरन वसूली, और जमीन कब्जाने जैसे 49 गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, इस पूरे खेल के केंद्र में हैं। उनकी कंपनी विकास कंस्ट्रक्शन में उनके जीजा आतिफ रजा का 15% हिस्सा था, जो इस अवैध कारोबार का अहम हिस्सा थी। ईडी की जांच ने न केवल उनके काले कारोबार को उजागर किया, बल्कि उनके सहयोगियों के जाल को भी तोड़ने की कोशिश की है।

क्या है ईडी की अगली रणनीति?

अब तक ईडी ने इस मामले में ₹6.40 करोड़ की संपत्तियों को अटैच किया है, लेकिन जांच अभी खत्म नहीं हुई है। बाकी अवैध धन और संपत्तियों की तलाश जारी है। जिन कंपनियों और व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं, उन पर कड़ी नजर रखी जा रही है। ईडी का यह एक्शन न केवल मनी लॉन्ड्रिंग के खिलाफ एक मजबूत संदेश है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कानून का शिकंजा अपराधियों के साम्राज्य को ध्वस्त करने के लिए तैयार है।

यह कार्रवाई माफिया और उनके सहयोगियों के लिए एक सख्त चेतावनी है कि अवैध कमाई का कोई भी रास्ता अब सुरक्षित नहीं है। ईडी की इस तेज-तर्रार कार्रवाई ने न केवल अपराधियों के आर्थिक ढांचे को निशाना बनाया है, बल्कि समाज में यह संदेश भी दिया है कि कानून की नजर से कोई नहीं बच सकता। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, और सच्चाई सामने आएगी, यह देखना रोमांचक होगा कि इस मामले में और कितने बड़े खुलासे होते हैं।

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