17.1 C
Delhi
Thursday, November 21, 2024

ईडी ने कहा- शराब नीति मामले में जल्द केजरीवाल और आप को बनाएंगे आरोपी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) को जल्द ही शराब नीति मामले में आरोपी बनाएगी। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ के समक्ष ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने बताया कि हम अरविंद केजरीवाल और आप के खिलाफ अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) दायर करने का प्रस्ताव कर रहे हैं। हम इसे शीघ्र ही करेंगे। यह प्रक्रिया में है। ईडी ने यह बात कथित दिल्ली शराब नीति मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को दी गई चुनौती पर सुनवाई के दौरान कही। राजू ने दावा किया कि जांच एजेंसी के पास यह दिखाने के लिए पर्याप्त सबूत हैं कि केजरीवाल ने 100 करोड़ रुपये की रिश्वत की मांग की थी और इसका इस्तेमाल आप ने गोवा विधानसभा चुनाव अभियान में किया।

उन्होंने कहा कि हमारे पास सबूत हैं कि केजरीवाल एक सात सितारा होटल में रुके थे, जिसके बिल का आंशिक भुगतान मामले के एक आरोपी ने किया था। साथ ही कहा कि केजरीवाल ने खत्म हो चुकी दिल्ली की शराब नीति को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि आप के राष्ट्रीय संयोजक के रूप में केजरीवाल कथित घोटाले के लिए परोक्ष रूप से जिम्मेदार हैं। मुख्यमंत्री होने के बावजूद केजरीवाल के पास कोई विभाग नहीं है।

मेहता बोले- रिमांड चरण में हस्तक्षेप से शक्तिशाली लोग सीधे शीर्ष अदालत पहुंचने लगेंगे : ईडी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका की विचारणीयता पर सवाल उठाते हुए कहा कि पहले दो अवसरों पर केजरीवाल ने रिमांड आदेशों का विरोध किया था लेकिन बाद में उन्होंने वस्तुतः न्यायिक हिरासत के लिए सहमति दी थी। उन्होंने कहा कि अदालत रिमांड चरण में संक्षिप्त सुनवाई नहीं कर सकती और जांच अधिकारी के पास उपलब्ध सामग्री तथा अन्य सबूतों की जांच नहीं कर सकती। 

उन्होंने कहा कि अदालत केवल यह देख सकती है कि गिरफ्तारी के लिए कोई सामग्री है या नहीं, न कि यह कि क्या सामग्री है। इस मामले में, सामग्री को ट्रायल कोर्ट और हाईकोर्ट की ओर से देखा गया है। हाईकोर्ट ने मामले की फाइलें तलब की थीं और सामग्री का अवलोकन किया था।  मेहता ने कहा कि अगर अदालत रिमांड चरण में हस्तक्षेप करना शुरू कर देती है तो यह शक्तिशाली लोगों के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के तहत निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना सीधे शीर्ष अदालत से संपर्क करने के दरवाजे खोल देगी। पीएमएलए की धारा 19 के तहत कुछ अंतर्निहित सुरक्षा उपाय प्रदान किए गए हैं, जो ईडी अधिकारी की गिरफ्तारी की शक्तियों से संबंधित है। गिरफ्तारी का प्रावधान जितना अधिक कठोर होगा, अदालतों की ओर से समीक्षा उतनी ही कम होगी।

धारा 19 की शर्तों के उल्लंघन पर अदालतें कर सकती हैं हस्तक्षेप : पीठ
हालांकि, पीठ मेहता की दलील से सहमत नहीं हुई और कहा कि अगर धारा 19 की शर्तों का उल्लंघन होता है तो अदालतें हस्तक्षेप कर सकती हैं। पीठ ने कहा कि अनुच्छेद 32 के तहत सीधे सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं और इस अदालत ने गिरफ्तारी को रद्द कर दिया है या जमानत दे दी है। हां, उपाय को खारिज नहीं किया जा सकता है और रिमांड कोर्ट या हाईकोर्ट आमतौर पर इन पहलुओं पर गौर करते हैं। ऐसा नहीं है कि हमारे पास अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन आम तौर पर हम न्यायिक संयम का पालन करते हैं, क्योंकि वैकल्पिक उपाय उपलब्ध हैं। हालांकि, जब कोई गंभीर मामला हो तो हम उसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। 

दिनभर चलती रही मामले की सुनवाई
करीब दिनभर चली सुनवाई के दौरान पीठ ने केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए अपनाई गई प्रक्रिया पर ईडी से पूछताछ की और आश्चर्य जताया कि जांच अधिकारी गिरफ्तार करने की शक्ति का प्रयोग करते समय उनके पक्ष में दोषमुक्ति संबंधी सामग्रियों को कैसे नजरअंदाज कर सकते हैं।

newsaddaindia6
newsaddaindia6
Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

Advertisement

spot_img

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

2,300FansLike
9,694FollowersFollow
19,500SubscribersSubscribe

Advertisement Section

- Advertisement -spot_imgspot_imgspot_img

Latest Articles

Translate »