वाराणसी, 13 नवंबर 2024, बुधवार। काशी के घाटों पर देव दीपावली की तैयारी जोरों पर है, लेकिन मणिकर्णिका चक्र पुष्करणी कुंड अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है। यह कुंड, जो भगवान विष्णु द्वारा स्थापित किया गया था और जहां भोलेनाथ और देवी पार्वती ने स्नान किया था, आज मिट्टी मलबे से भरा हुआ है। कुंड का पानी सूख गया है और इसकी साफ-सफाई की कोई व्यवस्था नहीं है।
काशी खंड के अनुसार, गंगा अवतरण से पहले इस कुंड का अस्तित्व था। भगवान विष्णु ने भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए यहां हजारों वर्ष तपस्या की थी। भोलेनाथ और देवी पार्वती के स्नान के लिए उन्होंने कुंड को अपने सुदर्शन चक्र से स्थापित किया। स्नान के दौरान मां पार्वती का कर्ण कुंडल कुंड में गिरने से नाम मणिकर्णिका पड़ा।
लेकिन आज, इस कुंड की बदहाली क्षेत्रीय लोगों को दुखी कर रही है। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से देव दीपावली से पहले इसकी साफ-सफाई करवाने की मांग की है। लोगों का कहना है कि यह कुंड काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी देखभाल करना प्रशासन की जिम्मेदारी है।
देव दीपावली पर काशी के घाटों की रोशनी में मणिकर्णिका चक्र पुष्करणी कुंड की बदहाली एक अलग ही कहानी बयां कर रही है। यह कुंड काशी के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसकी देखभाल करना हमारी जिम्मेदारी है।