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Monday, June 30, 2025

कोरोना मरीजों के लिए DRDO की तकनीक बनी वरदान, ऑक्सीजन वितरण प्रणाली की इस खोज ने किया बड़ा समाधान

कोविड से जंग में भारत की तमाम संस्थाएं मिलकर दिन-रात काम कर रही हैं। संकट के इस दौर में डीआरडीओ का योगदान सबसे अहम है। पीपीई किट, मास्क से लेकर अस्पताल और अब ऑक्सीजन प्लांट तक डीआरडीओ ने पलक झपकते तैयार कर दिया। इसी कड़ी में डीआरडीओ ने कोविड मरीजों को ऑक्सीजन देने के लिए नई तकनीक विकसित की है।

इस वक्त SpO2 प्रणाली कैसे बनी उपयोगी ?

दरअसल, डीआरडीओ ने दुर्गम पहाड़ियों और अत्यधिक ऊंचाई वाले इलाकों पर तैनात सैनिकों के लिए SpO2- (ब्लड ऑक्सीजन सैचुरेशन) आधारित ऑक्सीजन वितरण प्रणाली विकसित की है। डीआरडीओ की बेंगलुरु स्थित डिफेन्स बायो-इंजीनियरिंग एंड इलेक्ट्रो मेडिकल लेबोरेटरी (डीईबीईएल) द्वारा विकसित यह प्रणाली अतिरिक्त मात्रा में ऑक्सीजन आपूर्ति करती है और व्यक्ति को बेहोशी- हाईपोक्सिया में जाने से बचाती है, जो कई स्थितियों में घातक सिद्ध होती है। यह स्वचालित प्रणाली वर्तमान समय में फैली हुई वैश्विक महामारी कोविड-19 परिस्थितियों में भी एक वरदान सिद्ध हो सकती है।

यह प्रणाली पूरी तरह से स्वदेश में ही विकसित की गयी है जिसकी वजह से यह मजबूत, दुरुस्त और कम लागत की है। इसका उद्योग जगत पहले से ही बड़ी मात्रा में उत्पादन भी कर रहा है ।

क्या है हाईपोक्सिया ?

हाईपोक्सिया वह स्थिति है जब शरीर के ऊतकों में पहुंच रही ऑक्सीजन की मात्रा शरीर की आवश्यकता पूरी करने के लिए अपर्याप्त हो, ठीक ऐसी ही स्थिति कोविड रोगियों में दिखती है और इस समय चल रही संकटपूर्ण स्थिति का प्रमुख कारण भी है।
इस प्रणाली का इलेक्ट्रोनिक हार्डवेयर अत्यधिक ऊंचाई वाले पहाड़ी स्थानों के कम बैरोमेट्रीक दवाब, कम तापमान और आर्द्रता वाली स्थितियों में काम कर सकने के लिए बनाया गया है। इसमें लगाए गए सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी चेक्स (अवरोधक) जमीनी परिस्थितियों में इस प्रणाली की कार्यात्मक विश्वसनीयता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक रूप से महत्वपूर्ण हैं।

ये प्रणाली कैसे करती है काम ?

यह प्रणाली हाथ की कलाई में पहने जाने वाले वायरलेस इंटरफेस के माध्यम से पल्स ऑक्सीमीटर मॉड्यूल का उपयोग करके रोगी का SpO2- स्तर देख लेते हैं, उसके बाद ऑक्सीजन आपूर्ति को सुचारू बनाने वाले एक प्रोपोर्शनल सोलेनोइड वाल्व को नियंत्रित करती है, जबकि ऑक्सीजन की आपूर्ति एक पोर्टेबल कम भार वाले ऑक्सीजन सिलेंडर से नाक में की जाती है।

वहीं यह प्रणाली एक लीटर से एक किलोग्राम भार वाले सिलेंडर जिसमें 10 लीटर से 150 लीटर तक की ऑक्सीजन आपूर्ति से लेकर 10 लीटर एवं 10 किलोग्राम भार वाले 1,500 लीटर की ऑक्सीजन को दो लीटर प्रति मिनट (एलपीएम) की दर से 750 मिनट तक ऑक्सीजन की आपूर्ति करने में सक्षम है।

ऑक्सीजन की मात्रा को घटा/ बढ़ा सकता है

वर्तमान वैश्विक महामारी में यह प्रणाली एक वरदान ही है क्योंकि इसे मध्यम श्रेणी के कोविड रोगियों को उनके घरों में ही ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इसका स्वचालित होना ही घरों में सबसे अधिक लाभकारी है क्योंकि SpO2- स्तर कम होते ही इसका ऑक्सीमीटर चेतावनी (अलार्म) देने लगता है। SpO2- सेटिंग पर आधारित इसका प्रवाह स्वयं ही ऑक्सीजन की मात्रा को घटा/ बढ़ा सकता है और इसे 2,5, 7, 10 एलपीएम दर पर एडजस्ट किया जा सकता है। सर्वश्रेष्ठ ऑक्सीजन (O2) प्रवाह शरीर में ऑक्सीजन के स्रोत/ प्रबंधन को सुरक्षित रखता है और व्यक्ति की सहन शक्ति को बहुत बढ़ा देता है।

इसकी उपलब्धता और जनसामान्य द्वारा इसके आसानी से इस्तेमाल की सुविधा के कारण यह प्रणाली रोगियों के SpO2- स्तर की निगरानी कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों और चिकित्सकों के काम का बोझ एक दम से कम करने के साथ-साथ उन्हे संक्रमण से भी बचाएगी।

newsaddaindia6
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Anita Choudhary is a freelance journalist. Writing articles for many organizations both in Hindi and English on different political and social issues

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