सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत ने गाजियाबाद के मेवाड़ कॉलेज में ख्वाजा इफ्तार अहमद लिखित पुस्तक ‘द मीटिंग ऑफ माइंडस’ का विमोचन करते हुए कहा कि भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए हम सबको साथ मिलकर चलने की जरुरत है। उन्होंने कहा देश को बड़ा बनाना है तो सबका एक साथ चलना होगा।
संघ प्रमुख ने कहा इस प्रकार की किसी पुस्तक का विमोचन पहले कभी किसी संघ प्रमुख की तरफ से नहीं हुआ। संघ क्या है यह लोगों को 90 वर्षों से पता है। संघ इमेज की परवाह नहीं करता। हमको रूप बदलकर लोगों के बीच जाने की जरूरत नहीं है। दुनिया जो चाहे समझे हम अपना काम कर रहे हैं। हम जो करेंगे उससे सभी का भला होगा। इमेज बदलने का यह कोई प्रयास नहीं है। अगले चुनाव में मुस्लिमों के वोट पाने का भी प्रयास नहीं है।
उन्होंने कहा कि वोट की राजनीति या पार्टी पॉलिटिक्स में हम विश्वास नहीं करते। चुनाव में हम ताकत लगाते हैं, लेकिन हम राष्ट्र के पक्षधर हैं। इसके पक्ष में जाने वालों का हम समर्थन करते हैं। मनुष्यों को जोड़ने का काम राजनीति के बस का नहीं है। राजनीति इस काम का औजार नहीं है, बल्कि उसे बिगाड़ने का हथियार है।
पुस्तक देखने के बाद मैंने कह दिया कि इस पुस्तक का विमोचन मैं करूंगा। इस पुस्तक में प्रमाणिकता का आह्वान है। हम एक हैं, हमें एक होना है। राष्ट्र की प्रगति संगठित हुए बिना नहीं हो सकती। हिंदू-मुसलिम एकता भ्रामक शब्द है। यह दोनों अलग नहीं है, बल्कि एक ही है। जब दोनों मानते हैं कि अलग हैं तभी संकट होता है। हम एक ही हैं। हम निराकार के साथ आकार की भी श्रद्धा रखते हैं।
मोहन भागवत ने कहा कि हम एक हैं और इसका आधार है हमारी मातृभूमि है। इसलिए यहां कभी झगड़ा करने की जरूरत नहीं पड़ती। आज भी इसकी शक्ति है, लेकिन हम इसका उपयोग नहीं करते। हम समान पूर्वजों के वंशज हैं। हम भारत के सब लोगों का डीएनए समान है। इस आधार पर आरुढ़ होकर हम विचार करते हैं तो मन में अपनापन आ जाता है। हम उसी आधार पर देखते हैं। राजनीति के आधार पर नहीं देखते। संघ भी इसी विचार पर चलता है। इससे पहले लेखक ख्वाजा अहमद ने हिंदू मुस्लिम एकता को मजबूत बनाने पर जोर दिया।
तथाकथित अल्पसंख्यक जबकि हम मानते हैं कि हम एक ही हैं। अल्पसंख्यकों के मन में यह बैठाया गया है कि हिंदू उनको खा जाएंगे। किसी अन्य देश में ऐसा होगा जहां बहुसंख्यक किसी अल्पसंख्यक समाज पर हावी है, लेकिन हमारे यहां जो भी आया वो आज भी मौजूद है।
उन्होंने कहा कि आगबबूला होकर भाषण देने से प्रसिद्ध तो हो सकते हैं, लेकिन इससे काम नहीं चलेगा। इतिहास और पृष्ठभूमि अलग हो सकती है, लेकिन पूर्वज समान हैं। एक नहीं हुए इसकी वजह राजनीति है। जख्म हुए हैं उसकी प्रतिक्रिया तीव्र है। सब लोगों को समझदार बनाने के लिए समय लगेगा। देश की एकता को बाधा डालने वाली बातों के खिलाफ हिंदू ही खड़ा होता है।
मोहन भागवत ने कहा कि देश की एकता और अखंडता सर्वश्रेष्ठ है जो भारत को अपनी मातृभूमि मानता है वह सब हिंदू है गाय को हम अपनी मां मानते हैं, अगर कोई गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग करता है तो उसके खिलाफ कानून को अपना काम करना चाहिए। दोषी चाहे किसी भी समाज का हो उसे सजा मिलनी चाहिए।
सरसंघचालक मोहन भागवत के भाषण की प्रमुख बातें
- गाय के नाम पर लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व के खिलाफ हैं। उन्हें कड़ी सजा मिले। भारत हिन्दू राष्ट्र है। गाय हमारी माता है।
- भारत को विश्व गुरु बनाने के लिए हम सबको साथ मिलकर चलने की जरुरत है। देश को बड़ा बनाना है तो सबको एक साथ चलना होगा।
- हिंदू-मुसलिम एकता भ्रामक शब्द है। यह दोनों अलग नहीं है, बल्कि एक ही हैं। जब दोनों मानते हैं कि अलग हैं तभी संकट होता है। हम एक ही हैं। हम निराकार के साथ आकार की भी श्रद्धा रखते हैं।
- हम एक हैं और इसका आधार है हमारी मातृभूमि है। इसलिए यहां कभी झगड़ा करने की जरुरत नहीं पड़ती। आज भी इसकी शक्ति है, लेकिन हम इसका उपयोग नहीं करते।
- हम समान पूर्वजों के वंशज हैं। हम भारत के सब लोगों का डीएनए समान है। इस आधार पर आरुढ होकर हम विचार करते हैं तो मन में अपनापन आ जाता है।
- अल्पसंख्यकों के मन में यह बैठाया गया है कि हिंदू उनको खा जाएंगे। किसी अन्य देश में ऐसा होगा जहां बहुसंख्यक किसी अल्पसंख्यक समाज पर हावी हैं, लेकिन हमारे यहां जो भी आया वो आज भी मौजूद है।
- हिंदू और मुस्लिम की इतिहास और पृष्ठभूमि अलग हो सकती हैं लेकिन पूर्वज समान हैं।
- एक नहीं हुए इसकी वजह राजनीति है। जख्म हुए हैं उसकी प्रतिक्रिया तीव्र है। सब लोगों को समझदार बनाने के लिए समय लगेगा। देश की एकता को बाधा डालने वाली बातों के खिलाफ हिंदू ही खड़ा होता है।